बढ़िया सा एक उड़नखटोला, काश! कहीं से पाते जी। अपने भैया अजय-विजय संग, दूर गगन में जाते जी।।1।। चांद-सितारों की दुनिया में, खूब लगाकर चक्कर जी। बैठ मजे से फिर चंदा संग, हम खाते घी-शक्कर जी।। 2।।