कौआ चाचा नहीं आजकल, तुम छत पर क्यों आते? कांव-कांव चिल्ला-चिल्लाकर, हमको नहीं जगाते। कौआ बोला सुनो भतीजे, शहर नहीं अब भाते। हवा बहुत जहरीली है, हम सांस नहीं ले पाते। क्यों न ढेरों पेड़ लगाकर, हवा शुद्ध करवाते। ईंधन वाला धुआं मिटाकर, पर्यावरण बचाते।