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कविता : हमको आगे बढ़ना है

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डॉ. प्रमोद सोनवानी 'पुष्प'

मंजिल को जब है पाना,
खतरों से क्यों कर डरना।
बाधाओं से टकराकर,
हमको है आगे बढ़ना।
 
आंधी हो चाहे तूफान,
पथ पर हमें न है रुकना।
हर सूरत में जैसा भी हो,
हमको है आगे बढ़ना।
 
पढ़-लिखकर हम सबको,
भारत का है शान बढ़ाना।
इसकी सेवा में रत रहकर,
हमको है आगे बढ़ना।

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