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फनी बाल गीत : आज नहीं तो कल पहुंचूंगी

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प्रभुदयाल श्रीवास्तव

, मंगलवार, 26 नवंबर 2024 (14:35 IST)
चाहत है कि उडूं गगन में, 
पहुंचुं नक्षत्रों के पार।
आज नहीं तो कल पहुंचुंगी,
मम्मी मैं चंदा के द्वार।
 
खोज करूंगी कहां एलियन,
उड़न तश्तरी का घर है।
जगह, जहां से झरता रहता,
ओम-ओम  पावन स्वर है। 
अपने ध्रुव भैया को दूंगी,
बाल पत्रिका का उपहार।
 
मंगल के घर कौन-कौन है,
बुध का महल बड़ा कितना।
शनि की भू पर कितने पर्वत,
शुक्र भूमि पर जल कितना।
कहां दौड़ते टू व्हीलर हैं,
कहां दौड़ती मोटर कार।
 
कहां-कहां पर गेहूं, चावल,
की फसलें हैं लहरातीं।
कहां-कहां पर सुर बालाएं,
मंगल लोक गीत गातीं।
कहां-कहां पर बजती टिमकी,
होती नूपुर की झंकार।
 
कहां-कहां पर तितली भौंरे,
फूलों पर मंडराते हैं।
कहां-कहां पर गीत पपीहा,
कोयल मीठे गाते हैं।
कहां-कहां के आसमान से,
रुई सी झरती रोज फुहार।
 
(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)

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