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बाल गीत : कैसे हो गजानन

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सुशील कुमार शर्मा

कैसे हो गजानन अबकी साल,
भारत में तो मचा है धमाल।
 
जीएसटी से व्यापारी हैं बेहाल,
दलालों की नहीं गल रही है दाल,
जमाखोरों का हुआ जीना मुहाल।
 
औरतों के कट रहे चोटियों के बाल,
राम रहीम पर पड़ा सीबीआई का जाल।
 
कैसे हो गजानन अबकी साल,
भारत में तो मचा है धमाल।
 
पाकिस्तान कर रहा हरदम घात,
चीनी चाउमीन से न बन रही बात।
 
भारत से खाकर हरदम मात,
दोनों घुड़क रहे दिन और रात।
 
डोकलाम में मचा बवाल,
चीनी चूहे करे सवाल।
 
कैसे हो गजानन अबकी साल,
भारत में तो मचा है धमाल।
 
तीन तलाक अब हुआ खलास,
मुस्लिम बहनें हुईं पलास।
 
बेरोजगारी की दर है खास,
पप्पू अभी नहीं हुआ है पास।
 
टमाटर दहककर हुआ है लाल,
प्याज सिमटकर हुई बेहाल।
 
कैसे हो गजानन अबकी साल,
भारत में तो मचा है धमाल।
 
अन्नदाता खा रहा है गोली,
रोटी इठलाकर बोली।
 
नेट है सस्ता महंगी गोली,
मस्त है मजदूरों की टोली।
 
दिन में काम का नहीं मलाल,
मोबाइल से रोटी का सवाल।
 
कैसे हो गजानन अबकी साल,
भारत में तो मचा है धमाल।
 
इस बार गजानन कुछ कर जाना,
ऑक्सीजन के सिलेंडर भर जाना।
 
बंद हो जाए बच्चों का मर जाना,
विश्वास से सब मन भर जाना।
 
भारत में सब हों खुशहाल,
जीवन में सब हों मालामाल।
 
कैसे हो गजानन अबकी साल,
भारत में तो मचा है धमाल।
 

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