- अर्चना श्रीवास्तव 'अर्चन'
वर दो, वर दो, वर दो गणेशजी।
हर लो हमारे, प्रभु सारे दु:ख क्लेशजी।।
धर्म के नाम पर, जंग छिड़ी हैं यहां।
हिन्द बंट जाए, यही चाहता है ये जहां।।
आपस के झगड़ों में, डूबे न देश जी।
वर दो, वर दो, वर दो गणेशजी...।।
दूर होते जा रहे हैं लोग संस्कृति से।
करते हैं खिलवाड़, ये रोज प्रकृति से।
दो बुद्धि गंदा न करें, ये परिवेशजी।
वर दो, वर दो, वर दो गणेशजी...।।
हम हैं तुम्हारे सेवक प्रभो! सर्वदा से ही।
हमको बचा लो प्रभु, घोर विपदा से जी।
अनुग्रह करें, भक्तों पर तो विशेषजी।
वर दो, वर दो, वर दो गणेशजी...।।
हिन्द मेरा बस सदा आबाद ही रहे।
गीता का संदेश कथा रामायण की कहे।।
दिन-रात करे, उन्नति ये मेरा देश जी।
वर दो, वर दो, वर दो गणेशजी...।।