मक्खी ने पिचकारी में रंग,
भरकर मारा मच्छर पर।
रंग देखा तो मच्छर भाई,
भगे पैर सिर पर रखकर.।
तभी सामने से तितली ने,
पकड़ लिया था मच्छर को।
रँगे गए मच्छर भाई तो,
मक्खी हंसी खूब हो- हो।
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