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नन्ही कविता : चुनमुन और बुलबुल

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हमें फॉलो करें नन्ही कविता : चुनमुन और बुलबुल

कृष्ण वल्लभ पौराणिक

चुनमुन बोली
नानाजी लिखते हैं कविता
नानी कहे कहानी
मम्मी मेरी मुझे चाहती
उसने बात बखानी
और कहा फिर
बोलो बोलो अब तुम बोलो
मेरी बुलबुल रानी ...1

 
बुलबुल बोली
ओ! ऐ! सुन तू, मेरी दादी
मुझको है नहलाती
धुले हुए कपड़े पहनाकर
मुझे घुमाने जाती
और कहा फिर
बोलो बोले अब तुम बोलो
मेरी चुनमुन रानी ...2
 
चुनमुन बोली
मेरे पापा मुझे कार में
विद्यालय ले जाते
रोज शाम को लेने आते
आइस्क्रीम खिलाते
और कहा फिर
बोलो बोलो अब तुम बोलो
मेरी बुलबुल रानी ...3
 
बुलबुल बोली
मेरे दादाजी हैं मुझको
गाना रोज सिखाते
सा रे गा मा पा धा नि सा
की तानें बुलवाते
और फिर कहा
बोलो बोलो अब तुम बोलो
मेरी चुनमुन रानी ...4 
 
(चुनमुन बुलबुल एकसाथ)
आओ! अब हम दोनों मिलकर
झगड़ा दूर भगाएं
साथ रहें हम खेलें मिल-जुल
सबको पास बुलाएं
 
चुनमुन बोली
बोलो बोलो अब तुम बोलो
मेरी बुलबुल रानी
बुलबुल बोली
बोलो अब तुम बोलो
मेरी चुनमुन रानी ...5

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