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बच्चों की मनोरंजक कविता : काम नहीं रुकता

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प्रभुदयाल श्रीवास्तव

Kids Poem
 
कहा एक दिन दाल बहिन ने,
छुट्टी आज मनाऊंगी।
किसी थाल में चावल के संग,
आज नहीं मैं जाऊंगी।
 
चावल बोला अरी निगोड़ी,
क्यों घमंड इतना करती,
बोली है तरकारी मुझसे,
हर दम साथ निभाऊंगी।
 
क्यों डरते हो चावल भैया,
मैं तेरी हमराही हूं,
बहिन कढ़ी भी यह बोली है,
काम तुम्हारे आऊंगी।
 
कभी किसी के बिना जगत का,
काम नहीं रुकता भाई।
एक छोड़ दे साथ अगर तो,
मदद दूसरे से आई।
 
(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)

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