ठोको ताली।
जाएंगे नाना के घर कल,
ठोको ताली।
ध्यान लगाकर पाठ पढ़ा था,
रोज साल भर।
लिखे नोट्स थे और रखे थे,
सब संभालकर।
इससे मुझे मिला मीठा फल,
ठोको ताली।
साल गया था हंसते-हंसते,
मजे-मजे से।
पढ़ते लिखते धूम मचाते,
उछल-उछल के।
झरनों जैसे बहते कल-कल,
ठोको ताली।
कोरोना का कहर टूटना,
बंद हुआ अब|
चेहरे पर खुशियां लौटीं,
आनंद हुआ अब।
भर गर्मी में ज्यों ठंडा जल,
ठोके ताली।
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