Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

हिन्दी कविता : महाराणा प्रताप

Advertiesment
हमें फॉलो करें हिन्दी कविता : महाराणा प्रताप
- डॉ. जयंत निर्वाण
 

 
 
 
गाथा फैली घर-घर है,
आजादी की राह चले तुम,
सुख से मुख को मोड़ चले तुम,
'नहीं रहूं परतंत्र किसी का',
तेरा घोष अति प्रखर है,
राणा तेरा नाम अमर है।
 
भूखा-प्यासा वन-वन भटका,
खूब सहा विपदा का झटका,
नहीं कहीं फिर भी जो अटका,
एकलिंग का भक्त प्रखर है,
भारत राजा, शासक, सेवक, 
अकबर ने छीना सबका हक,
रही कलेजे सबके धक्-धक्
पर तू सच्चा शेर निडर है,
राणा तेरा नाम अमर है।
 
मानसिंह चढ़कर के आया,
हल्दी घाटी जंग मचाया,
तेरा चेतक पार ले गया,
पीछे छूट गया लश्कर है,
राणा तेरा नाम अमर है।
 
वीरों का उत्साह बढ़ाए,
कवि जन-मन के गीत सुनाएं,
नित स्वतंत्रता दीप जलाएं,
शौर्य सूर्य की उज्ज्वलकर है, 
राणा तेरा नाम अमर है।
राणा तेरा नाम अमर है।
 
साभार- देवपुत्र 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

कहानी : मस्ती टाइम