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मजेदार बाल कविता : क्यों छोड़ें मुस्काना

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प्रभुदयाल श्रीवास्तव

फूल लाल है फूल हैं पीले,
फूल गुलाबी नीले।
फूल सदा हंसते रहते हैं,
संवरे और सजीले।
 
डाली की गोदी में बैठे,
मस्त मगन रहते हैं।
खुशियां तुम भी रोज मनाओ,
सबसे यह कहते हैं।
 
जीवन है दो दिन का मेला,
फिर क्यों रोना गाना।
दुख सुख तो जीवन का क्रम है,
क्यों छोड़ें मुस्काना।
 
(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)


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