मेरी गुड़िया पाठ पढ़ेगी,
नन्हें-नन्हें छोटे से।
पापा लेकर आए कॉपी,
मम्मी लाई पेन।
दादाजी पुस्तक ले आए,
उन्हें तब पड़ा चैन।
छोटी पुस्तक के अक्षर हैं,
सुंदर मोटे-मोटे से।
अभी पड़ेगी बड़े प्रेम से,
'अ' अनार का पाठ।
आज दिख रहे हैं गुड़िया के,
परियों जैसे ठाठ।
हल्ला-गुल्ला सुनकर दादी,
जाग उठीं हैं सोते से।
कर डाले अक्षर उच्चारण
उसने अपने आप।
पढ़े सभी स्वर, व्यंजन जैसे,
हों गायत्री जाप।
कितना ज्ञान भरा गुड़िया के,