लेकर के पिचकारियां, भीड़ आ गई द्वार,
खुशियों से पुलकित हुआ, मेरा घर-संसार।
रसगुल्ले तैयार हैं, लड्डू उछले खूब,
मेरे मीठे स्वाद में बोले, जाओ डूब।
माथे खुद आगे बढ़े, मल दो खूब गुलाल,
जितना ज्यादा मलोगे, मन होगा खुशहाल।
बच्चों की हुड़दंग है, उड़ी अबीर-गुलाल,
तन रंग में डूबा हुआ, मन है मालामाल।
सिलबट्टे पर बैठकर, कक्कू घिसते भांग,
दद्दू राजा नाचते, बना-बनाकर स्वांग।
दादी मां को घेरकर, बच्चे करते शोर,
दादी रंग लगवाइए, आ गए नंद किशोर।