Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

Kids Story: ढपोरशंख की रोचक कहानी, बच्चो को जरूर सुनाएं

हमें फॉलो करें Kids Story:  ढपोरशंख की रोचक कहानी, बच्चो को जरूर सुनाएं

WD Feature Desk

, मंगलवार, 7 जनवरी 2025 (14:50 IST)
Kids Story of Dhaporshankh:ढपोरशंख नामक प्रसिद्ध कहानी कई तरह से सुनाई जाती है। कुछ लोग इस कहानी को एक राजा से जोड़कर बताते हैं और कुछ दो पड़ोसियों से जोड़कर बताते हैं। यह एक बहुत ही रोचक कहानी है जो हमें दो तरह के व्यक्तित्व में भेद को बताती है। हमारे समाज में हमारे आसपास ही इसी तरह के लोग मिल जाएंगे। यहां प्रस्तुत है दो पड़ोसियों से संबंधित कहानी।

ढपोरशंख की पहली कहानी:
एक कस्बे में दो परिवार के लोग पास पास रहते थे। एक का नाम श्याम था और दूसरे का नाम पंकज। श्याम गरीब, पूजा पाठी और विनम्र था जबकि पंकज घमंडी और लालची था। एक बार श्याम कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा नदी के किनारे गंगा स्नान करते वक्त सोच रहा था कि काश मैं इतना कमा पाता जिससे कि घर परिवार अच्छे से चल पाता और घर में मैं श्रीकृष्ण का एक मंदिर भी बना पाता। वह यह सोचकर ही रहा था कि तभी उसे तट के किनारे पड़ा हुआ एक सुंदर सा शंख नजर आया। उसे देखकर वह खुश हो गया क्योंकि उसके पूजा घर में एक शंख की कमी थी।
 
वह उस शंख को उठाकर घर ले आता है और उसे अच्छे से साफ करके स्नान करता है और पूजा घर में रखकर तिलक आदि लगाकर उसकी पूजा करता है। फिर वह अपनी नित्य पूजा करता है और उस वक्त आंखें बंद करके मन ही मन सोचता है कि काश मेरे पास इस शंख के साथ श्री कृष्ण जी की मूर्ति होती तो कितना अच्छा होता। फिर जब वह आंखें खोलता है तो उसे शंख के पास रखी हुई श्रीकृष्ण की मूर्ति नजर आती है। वह उसे देखकर आश्चर्य करता है। वह सोच में पड़ जाता है कि यह मूर्ति कहां से आई? आसपास देखता है तो उसे कोई नजर नहीं आता है। 
 
फिर वह सोचता है कि कोई बात कहीं से किसी ने रख दी होगी, मेरी नजर पहले नहीं पड़ी। यही सोचते हुए वह सोचने लगता है कि अब तो श्रीकृष्ण की मूर्ति आ गई है तो इनके लिए भोग का इंतजाम करना होगा क्योंकि कृष्ण जी को तो 8 समय भोग लगता है।... तभी वह देखता है कि श्रीकृष्ण के सामने अचानक से भोग की एक थाली आ जाती है। यह देखकर वह डर जाता है। तभी उसको खयाल आता है कि हो न हो यह इस शंख का ही चमत्कार होगा क्योंकि जब से मैं इसे लाया हूं तभी से चमत्कार पर चमत्कार हो रहे हैं।
 
वह समझ जाता है कि जरूर इस शंख में कुछ करामात है। वह आजमाने के लिए शंख की ओर देखकर बोलता है कि क्या तुम हार-फूल की व्यवस्था कर सकते हो। शंख अपने आप ही थोड़ा बहुत हिलता है और तुरंत ही उसकी थाली में हार-फूल आ जाते हैं।..... अब श्याम को पक्का विश्वास हो जाता है कि यह इच्छापूर्ण करने वाला शंख है। श्याम उस शंख का नाम इच्छामन शंख रख देता है। यह जानकर वह बहुत खुश हो जाता है और मन ही मन सोचता है कि अब तो ठाकुरजी की अच्छे से पूजा होगी और उन्हें खूब भोग लगेगा और हम भी अब पेट भरकर भोजन करेंगे। श्याम उस चमत्कारिक शंख से अपनी जरूरत की चीजें समयानुसार मांगता था और वह शंख उसकी इच्छा पूर्ण कर देता था। धीरे-धीरे श्याम के गरीबी के दिन अमीरी में बदलने लगे।
 
एक दिन उसके पड़ोसी पंकज को यह बात समझ में आने लगती है कि श्याम कुछ खास काम तो करता नहीं फिर यह इतना अमीर कैसे बन गया? हर दम नए कपड़े और अब तो घर भी नया करा लिया है। जरूर दाल में कुछ काला है। इसका राज जानना पड़ेगा कि आखिर यह अमीर कैसे बन गया?.... फिर एक सुबह पंकज चुपचाप से श्याम के घर की खुली खिड़की से झांककर देखता है कि आखिर माजरा किया है। वह देखता है कि श्याम एक शंख को अच्छे से नहला रहा है और उस शंख को उसने चांदी के सिंहासन पर बैठा रखा है। पूजा पाठ करने के बाद श्याम शंख से कहता है कि आज मुझे 9 स्वर्ण मुद्राओं की जरूरत है क्योंकि 9 कन्याओं को भोजन कराना है। यह बोलते ही उसके सामने 9 स्वर्ण मुद्राएं आ जाती है।.... यह नजारा देखकर पंकज सारा माजरा समझ जाता है। 
 
पंकज को समझ में आ जाता है कि हो न हो यह जो शंख है, यह इच्छापूर्ण करने वाला शंख है। यदि यह मुझे भी मिल जाए तो मैं भी अमीर बन सकता हूं। फिर वह एक योजना बनाकर ऐसा ही एक साधारण शंख बाजार से खरीदकर लाता है और एक रात को वह चुपचाप से श्याम के घर में दाखिल होकर वह बाजार से खरीदा शंख पूजा स्थान पर रखकर चमत्कारिक शंख को चुरा लेता है। वह चमत्कारी शंख को अपने घर ले जाकर अपने घर के पूजा स्थल पर स्थापित कर देता है और सुबह विधिवत उसकी पूजा करता है। 
 
इधर, श्याम जब सुबह उठता है तो वह प्रतिदिन की तरह श्रीकृष्‍ण आदि सभी देवताओं की पूजा के साथ ही साधारण शंख की पूजा भी करता है और उस शंख से अपनी यात्रा खर्च के लिए 4 स्वर्ण मुद्राएं देने का निवेदन करता है, क्योंकि वह शंख साधारण रहता है तो वह शंख कुछ भी नहीं दे पाता है। श्याम 2-3 बार निवेदन करता है तभी भी कुछ नहीं होता है। फिर वह निराश हो जाता है। वह सोचने लगता है कि कहीं इस शंख की शक्ति को नहीं चली गई?
 
इस तरह कुछ दिन बीत जाते हैं और धीरे धीरे माह बीतने लगते हैं। श्याम परेशान रहने लगता है और पंकज खुश रहने लगता है। धीरे धीरे पंकज उसे चमत्कारी शंख से अपनी सभी इच्छाओं को पूर्ण करने लगता है और वह भी श्याम की तरह अमीर बन जाता है। फिर एक दिन श्याम को पता चल जाता है कि पंकज ने मेरा शंख चुरा लिया है और अब पंकज उसे शंख की सुरक्षा के लिए पूजा घर में ताला लगाकर रखता है। श्याम उदास हो जाता है लेकिन वह सोचता है कि कोई बात नहीं भगवान ने अभी तक मुझे जितना दिया उतने से ही मैं खुश हूं। पहले की अपेक्षा अब यह तो है कि मैं गरीब नहीं हूं। अपने बचे पैसों से कुछ नया व्यापार कर सकता हूं।
 
फिर एक दिन कार्तिक पूर्णिमा श्याम पुन: उसी घाट के पास स्नान करता है तो उसे उसी प्रकार का एक नया शंख नजर आता है। वह उसे देखकर चौंक जाता है। तुरंत ही वह उसके पास जाकर उसे देखता है और बोलने लगता है कि वाह प्रभु आपने तो मुझे दूसरा चमत्कारी शंख दे दिया।...तभी वह शंख बोल पड़ता है....हां मैं चमत्कारी शंख हूं। मैं कुछ भी कर सकता हूं। शंख को बोलता देखकर श्याम चौंक जाता है।
 
श्याम बोलता है- क्या तुम बोलते भी हो? मेरा पहले वाला शंख तो कुछ बोलता नहीं था। 
शंख बोतला है- हां..हां मैं बोलता ही नहीं हूं, मैं तो गा भी सकता हूं। 
यह सुनकर श्याम खुश हो जाता है और वह उसे घर ले जाकर अपने पूजा स्थल पर विधिवत पूजा करके रख देता है। इसके बाद वह शंख से कहता है कि मुझे 4 स्वर्ण मुद्राएं चाहिए तीर्थ यात्रा पर जाना है। 
 
शंख कहता है कि 4 क्या मैं आपको 8 मुद्राएं दे सकता हूं आप 8 क्यों नहीं मांगते हैं? श्याम कहता है कि अच्छा ठीक है तो फिर 8 मुद्राएं दे दीजिये। तभी तपाक से शंख कहता है कि आप मुझ चमत्कारी शंख से 8 मुद्राएं क्यों मांग रहे हैं जबकि मैं आपको 16 मुद्राएं देने की क्षमता रखता हूं। आप 16 मांगें।.... शंख की यह बात सुनकर श्याम सोच में पड़ जाता है और फिर कहता है कि 16 का मैं क्या करूंगा, मुझे इतने की जरूरत नहीं। तभी शंख तपाक से कहता है- बस यही तो तुम्हारी दिक्कत है जबकि कोई तुम्हें देने वाला है तो क्यों नहीं तुम अपनी जरूरतों को बढ़ाते हो, कुछ बड़ा सोचो।..... कुछ देर सोचने के बाद श्याम कहता है अच्छा ठीक है आप 16 ही स्वर्ण मुद्राएं दे दीजिये।
 
शंख फिर से झट से और जोर से कहता है- लगता है कि तुममें आत्मविश्वास नहीं है। मैं 16 क्या तुम्हें 32 स्वर्ण मुद्राएं दे सकता हूं। तुम मुझसे 32 स्वर्ण मुद्राओं की मांग करो।...इस तरह शंख हर बार दोगुना देने की बात करता रहता है परंतु देता कुछ नहीं है और वह जोर से एवं आत्मविश्वास का दिखावा करके बोलने लगता है। यह देखकर सुनकर श्याम समझ जाता है कि यह देने वाला शंख नहीं बल्कि बोलने वाला शंख है। बस यही इसका चमत्कार है। यह बस बोलना ही जानता है कुछ करना नहीं। श्याम उसका नाम ढपोरशंख रख देता है। 
 
फिर श्याम को एक युक्ति सूझती है और वह सोचता है कि यह खबर जैसे तैसे पंकज के पास पहुंच जाए कि मेरे पास तो उससे भी अच्छा शंख है तो काम बन सकता है। कुछ दिनों बात पंकज को यह पता चल जाता है कि श्याम के पास ऐसा शंख है जो बोलता है और उससे जो भी मांगो वह दोगुना करके देता है।...इसकी सत्यता की जांच करने के लिए वह एक सुबह चुपचाप श्याम की खिड़की से झांकता है। श्याम को यह पता चल जाता है तो वह उसे शंख की पूजा करके आत्मविश्वास से कहता है- हे बोलने वाले शंख मैं जानता हूं कि तू बड़ा चमत्कारी है 1 मांगो तो 2 देता है। 2 मांगो तो 4 देता है। मैं आज तुझसे मांगता हूं 4 लाख स्वर्ण मुद्राएं मांगता हूं।....यह सुनकर शंख झट से और जोर से कहता है मालिक 4 लाख क्या मैं आपको 8 लाख दूंगा। 
 
शंख की यह बात सुनकर पंकज तो दंग रह जाता है और उसके मन में लालच आ जाता है। वह दुखी होकर अपने घर जाता है और सोचने लगता है कि मैं इस बोलने वाले शंख को कैसे हासिल करूं। फिर एक रात वह योजना बनाता है कि यह दोनों शंख एक जैसे ही नजर आते हैं तो क्यों नहीं पहले वाला शंख रखकर मैं बोलने वाला शंख चुरा हूं।......फिर एक बार वह असली शंख को लेकर जाता है और उसे वह बोलने वाला नकली शंख को बदल देता है। और, चुपचाप अपने घर लौट आता है। श्याम यही चाहता था वह नकली शंख को चुराते हुए पंकज को देख लेता है और जब पंकज चला जाता है तब वह अपने असली शंख को पूजा स्थान से उठाकर साधारण सा शंख रख देता है और असली शंख को छुपाकर रख देता है। कुछ नहीं दिनों में बोलने वाले शंख की पोल खुल जाती है तो पंकज बहुत पछताता है। उधर, श्याम अपने असली शंख को पाकर बहुत खुश होता है। 
 
कहानी से शिक्षा : इस दुनिया में काम करने का दिखावा करने वाले बहुत है या कहें कि बोलने वाले कई लोग है लेकिन काम करने वाले बहुत कम है। दुनिया में काम करने वालों की कोई कद्र नहीं करता है बोलने वाले ढपोरशंख की सभी तारिफ करते हैं। दुनिया ढपोरशंखों से नहीं चलती असली शंख इच्‍छामन से चलती है।
webdunia
दूसरी कहानी: 
ढपोरशंख की कहानी एक ऐसी कहानी है जिसमें एक ऐसा शंख होता है जिसे बजाने पर उससे झूठे वादे निकलते थे। इस शंख को बजाने पर निकलने वाले झूठे वादे कभी पूरे नहीं होते थे। बेवकूफ़ बनाए जाने से बचने के लिए, कुछ सयानों ने इस शंख को समंदर में फेंक दिया। एक बार रतन सिंह ने क्रोधित होकर ढपोरशंख को जमीन पर पटक दिया, जिससे वह चूर-चूर हो गया। इस घटना के कुछ दिनों बाद ही राजा सामान्य हो गया और उसे अपनी बीती हुई बातें सोच-सोचकर हंसी आती थी। उसे पता चल गया था कि जीवन में संगत का कितना प्रभाव होता है।
 
ढपोरशंख की तीसरी कहानी: 
बहुत समय पहले, एक छोटे से राज्य में एक राजा के दरबार में एक ढपोरशंख नाम का आदमी रहता था। वह हमेशा बड़ी-बड़ी बातें करता, खुद को सबसे बुद्धिमान और सक्षम साबित करने की कोशिश करता, लेकिन असल में वह बहुत आलसी और ढोंगी था। 
 
एक दिन राजा ने दरबार में घोषणा की, "जो भी व्यक्ति मुझे कोई अनोखी चीज लाकर देगा, उसे मैं इनाम दूंगा।" ढपोरशंख ने सोचा कि यह मौका है राजा को अपनी 'बुद्धिमत्ता' दिखाने का। वह जंगल में गया और वहां से एक बड़ा-सा शंख (सीपी) उठा लाया। वह शंख न तो बजता था और न ही उसमें कोई खास बात थी। दरबार में ढपोरशंख ने बड़े गर्व से शंख राजा के सामने रखा और कहा, "महाराज, यह कोई साधारण शंख नहीं है। यह 'ढपोरशंख' है। इसके पास अद्भुत शक्तियां हैं।"
 
राजा ने पूछा, "इस शंख में क्या खास बात है?"
ढपोरशंख ने गंभीर आवाज में कहा, "महाराज, यदि आप इस शंख को बजाएंगे, तो आपके राज्य में सुख-शांति और समृद्धि आएगी।"
राजा ने शंख बजाने की कोशिश की, लेकिन वह शंख एक बार भी नहीं बजा। राजा को शक हुआ और उन्होंने ढपोरशंख से कहा, "अगर यह शंख इतना ही चमत्कारी है, तो इसे तुम ही बजाकर दिखाओ।"....ढपोरशंख ने बड़ी कोशिश की, लेकिन शंख से कोई आवाज नहीं आई। दरबारियों ने ठहाके लगाए और राजा को समझ आ गया कि ढपोरशंख ने उन्हें मूर्ख बनाने की कोशिश की है। राजा ने ढपोरशंख को दरबार से बाहर निकाल दिया और कहा, "जो केवल बातें बनाता है और काम नहीं करता, उसका अंत ऐसा ही होता है।"
 
शिक्षा: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि केवल बड़ी-बड़ी बातें करने से कुछ हासिल नहीं होता। असली मूल्य मेहनत और सच्चाई में है।
 
- प्रस्तुति अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

फिटनेस के लिए सान्या मल्होत्रा पीती हैं माचा टी, जानिए फायदे