ज्योग्राफिकल इन्फॉर्मेशन सिस्टम स्पेशलिस्ट के रूप में इस क्षेत्र में रोजगार की बहुत चमकीली संभावनाएँ बन रही हैं। ज्योग्राफिकल इन्फॉर्मेशन सिस्टम के माध्यम से पृथ्वी की भौगोलिक आकृतियों, भू-भागों आदि को डिजिटल रूप में प्रेजेन्ट किया जाता है। यह एक हाईटेक तकनीक है, जिसमें किसी भी डाटा को एनालॉग से डिजिटल टेक्नीक में बदला जाता है। ज्योग्राफिकल इन्फॉर्मेशन सिस्टम से प्राप्त मैप्स को हाईटेक मैप कहा जाता है।
ये मैप्स न केवल तकनीकी रूप से बहुत एड्वांस्ड होते हैं बल्कि उनसे भौगोलिक दृश्यों को सरलता से प्रदर्शित भी किया जा सकता है। दूसरी भाषा में ज्योग्राफिकल इन्फॉर्मेशन सिस्टम को रिमोट सेंसिंग तकनीक का समरूप भी कहा जा सकता है क्योंकि इसमें किसी भी स्थान की स्थिति को उस स्थान पर जाए बिना ही अपने कंप्यूटर पर देखा एवं बनाया जा सकता है।
जीआईएस के क्षेत्र में रोजगार की चाह रखने वालों के लिए जॉग्रफी, मैथ्स आदि सब्जेक्ट की डिग्री वालों को इलिजिबल माना जाता है, लेकिन आज इस क्षेत्र में बढ़ती सूचनात्मक प्रगति व विकास के कारण केवल इतनी योग्यताएं ही काफी नहीं हैं। स्टूडेंट के पास अगर इंजीनियरिंग, आईटी, भू विज्ञान, जॉग्रफी, एन्वायर्नमेंट साइंस में पीजी की डिग्री हो तो उससे एड्मिशन में प्रिफरेंस मिल जाता है।
एप्लाइड ज्योग्राफी के रूप में ज्योग्राफिकल इन्फॉर्मेशन सिस्टम की शिक्षा देने वाले देश के प्रमुख इंस्टिट्यूट हैं-
गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थविश्वविद्यालय, नई दिल्ली।
सेंटर फॉर स्पेशल डाटाबेस मैनेजमेंट एंड सोल्यूशन, नोएडा।
उत्कल विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर, उड़ीसा।
कर्नाटक विश्वविद्यालय, पावटे नगर, धारवाड़, कर्नाटक।
भारतीदासन विश्वविद्यालय, तिरुचिरापल्ली।
गुरुनानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर, पंजाब।
अन्नामलाई विश्वविद्यालय, अन्नामलाई नगर।
डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालयख् सागर मप्र।