भारत सहित दुनियाभर में लोग उड़न तश्तरी को देखे जाने का दावा करते हैं उनमें से कुछ तो एलियंस को भी देखे जाने का दावा करते हैं। एलियंस अर्थात अंतरिक्ष में किसी दूसरे ग्रह पर रहने वाले लोग जो उड़न तश्तरी अर्थात यूएफओ में सफर करते हैं।
UFO इसलिए चर्चा में है क्योंकि हाल ही में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने दावा किया कि वे अज्ञात उड़ती वस्तु (UFO) देख चुके हैं। उन्होंने यह दावा एक टीवी शो के दौरान किया। इससे कुछ समय पहले ही अमेरिकन नेवी के पूर्व लेफ्टिनेंट रायन ग्रेव्स ने भी मिलता-जुलता दावा किया था। वैसे अमेरिका से एलियंस को देखने के दावे नए नहीं। ये भी माना जाता है कि इस बेहद शक्तिशाली देश ने प्रयोग के लिए नेवादा के एरिया-51 में एलियंस को कैद कर रखा है। अमेरिका में इस दावे और एरिया-51 को लेकर हल्ला मचा हुआ है। आओ जानते हैं कि UFO क्या है और क्या है एरिया-51।
क्या है UFO (Un-identified Flying Object- UFO) : Unidentified Flying Object का शार्ट है UFO। यूएफओ को हिन्दी में उड़न तश्तरी कहते हैं। माना जाता है कि दूसरे ग्रह के लोग इस उड़न तश्तरी में बैठकर हमारे ग्रह की यात्रा करने आते हैं।
क्या है एरिया 51 : अमेरिकी लोग यह मानते हैं कि सोना और नासा ने मिलकर एरिया-51 नामक क्षेत्र में एलियंस (दूसरे ग्रह के लोग) को रख रखा है और वे ये बात दुनिया से छुपा रहे हैं। एलियंस के होने पर लगातार यकीन और खोज करने वाले अमेरिका में साल 1950 से ही कहा जाने लगा कि एरिया-51 में एलियंस रहते हैं। कंटीली बाड़ों के बीच रात-बेरात उड़ते विमानों की चमक दिखाई देना इस बात को और पुख्ता करता है। जून 1959 में पहली बार ये बात मीडिया में आई कि नेवादा के आसपास के लोग हरी चमक के साथ कुछ रहस्यमयी चीजों को उड़ता देख चुके हैं।
2015 में अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए ने एरिया-51 के नाम से विख्यात खुफिया परीक्षण क्षेत्र के अस्तित्व को अधिकारिक रूप से स्वीकार किया था, परंतु कोई यह नहीं कहता है कि यहां एलियंस को रखा गया है। दावा तो यहां तक किया जाता है कि 'एरिया 51' के पास स्थित रॉसवेल (न्यू मेक्सिको) नाम के क़स्बे से कुछ ही दूर 1947 में एक उड़न तश्तरी गिरकर ध्वस्त भी हो गई थी। उसके मलबे को आननफान में 'एरिया 51' में कहीं छिपा दिया गया। इस दुर्घटना में एक परग्रही का शव मिलने और डॉक्टरों द्वारा उसकी चीर-फाड़ करने के दावे भी किए जाते रहे हैं। उस कथित परग्रही का वह कथित शव रॉसवेल के अंतरराष्ट्रीय UFO संग्रहालय में रखा हुआ है। लेकिन, वह कभी जीवित रहा कोई प्राणी नहीं, बल्कि 'रॉसवेल' नाम की फिल्म में प्रयुक्त मनुष्य-जैसे काल्पनिक प्रणी की एक नकल है।
वर्ष 1997 में एक जनमत संग्रह में 80 फीसदी अमेरिकियों का मानना था कि सरकार उड़न तश्तरियों के मामले में उनसे सच्चाई छिपा रही है। इस मामले ने इतना तूल पकड़ा कि राष्ट्रपति भवन को बयान जारी करके लोगों को भरोसा दिलाना पड़ा कि सरकार कोई जानकारी नहीं छिपा रही है।
लगभग 3.7 किलोमीटर में फैले इस क्षेत्र को हाल ही में सैटेलाइट से देखा जा सकता है। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक यूएस मिलिट्री ने बताया है कि ये लड़ाई के मैदान की नकल है, जहां अलग-अलग तरह के युद्ध की तैयारी और अभ्यास होता है। अमेरिकी सेना अत्याधुनिक विमानों को विकसित करने के लिए एरिया 51 का उपयोग करती है। इस काम के लिए यहां लगभग 1500 लोग तैनात हैं।
साल 2019 में सोशल मीडिया पर एक मुहिम चली, जिसमें लोगों ने इस बारे में जानने के लिए लगभग 1.5 मिलियन लोगों ने इसके लिए साइन किया। हालांकि ये लोग कुछ नहीं कर सके क्योंकि अमेरिकी एयर फोर्स ने चेतावनी भरे लहजे में स्पष्ट कर दिया था कि ये उनका ट्रेनिंग एरिया है और यहां पर किसी का भी दखल नहीं सहा जाएगा।
यूएफओ देखे जाने की घटना : दुनियाभर में यूएफओ देखे जाने की घटना का दावा किया गया है। अमेरिका, फ्रांस, रशिया, चीन, भारत और ऑस्ट्रेलिया में ऐसी घटनाओं को दर्ज किया गया है। भारत में गुजरात के जामनगर में, लद्दाख और अरुणाचय में यूएफओ देखे जाने की घटनाएं दर्ज की गई है।
चीन के एक खगोल विज्ञानी ने दुनिया में पहली बार उड़न तश्तरी देखने का दावा किया था। उसके बाद से आकाश में इस तरह की चमकती वस्तुएं देखने की घटनाएं लगातार सामने आने लगीं और अमेरिका, फ्रांस, स्वीडन, रूस आदि देशों में इस पर अध्ययन के लिए कई समितियां गठित की गईं।
प्रत्यक्षदर्शी दावे से कह रहे हैं कि ये चमकदार उड़न तश्तरियां चीन की सीमा से आती हैं। चीन के खगोल विज्ञानी ने ईसा पूर्व 410 वर्षा में उड़न तश्तरी देखने का दावा किया था, तब से आज तक इंसानों की दिलचस्पी उड़न तश्तरी में जरा भी कम नहीं हुई है। यही वजह है कि उन पर दुनियाभर में कई फिल्में बन चुकी हैं एवं सैकड़ों किताबें लिखी जा चुकी हैं।
दिलचस्प बात यह है कि पिछले 2 हजार साल में अज्ञात वस्तुओं को आकाश में उड़ता देखने का दावा करने वालों की संख्या सैकड़ों थी, लेकिन पिछले 200 सालों में यह संख्या बढ़कर हजारों में पहुंच गई है।