ब्लैक होल को हिन्दी में कृष्ण विवर कहते हैं। ब्लैक होल के बारे में सभी ने सुना होगा लेकिन हो सकता है कि कम लोग ही जानते होंगे कि Black hole क्या होता। क्या आप जानते हैं कि ब्लैक होल क्या होता है? नहीं, तो चलिए जान लेते हैं कि यह क्या होता है।
1. ब्लैक होल स्पेस में वह जगह है जहां भौतिक का कोई नियम काम नहीं करता। मतलब समय और स्थान का कोई मतलब नहीं है। यहां बस गुरुत्वाकर्षण और अंधकार है। इसका गुरुत्वाकर्षण इतना शक्तिशाली होता है कि जिसकी आप कल्पना नहीं कर सकते हैं। इसके खिंचाव से यह प्रकाश को भी अवशोषित कर लेता है। मतलब यह कि इसमें जो भी डाला, वह बाहर नहीं निकलेगा।
2. आप इसे इस तरह समझें कि जब हम किसी टॉर्च से प्रकाश डालते हैं तो वह प्रकाश रिफ्लेक्ट होकर हमारी आंखों पर आता है तभी वह चीज हमें दिखाई देती है, लेकिन यदि मान लो कि प्रकाश वापस लौट कर ही नहीं आया तो वह जगह ब्लैक होल हो सकता है। ऐसा ही स्पेस में होता है।
3. दरअसल, जब कोई विशाल तारा अपने अंत की ओर पहुंचता है तो वह अपने ही भीतर सिमटने लगता है। धीरे-धीरे वह भारी भरकम ब्लैक होल बन जाता है और फिर उसकी गुरुत्वाकर्षण शक्ति इतनी बड़ जाती है कि उसके प्रभाव क्षेत्र में आने वाला हर ग्रह उसकी ओर खिंचाकर अंदर चला जाता है। वह सब कुछ अपने में निगलने लगता है। इसके प्रभाव क्षेत्र को ही इवेंट हॉराइजन कहते हैं। किसी भी चीज का गुरुत्वाकर्षण स्पेस को उसके आसपास लपेट देता है और उसे कर्व जैसा आकार दे देता है।
4. स्टीफन हॉकिंग के अनुसार इसके बाहरी हिस्से को इवेंट हॉराइजन कहते हैं। स्टीफन हॉकिंग की खोज के मुताबिक हॉकिंग रेडिएशन के चलते एक दिन ब्लैक होल पूरी तरह द्रव्यमान मुक्त हो कर गायब हो जाता है। ब्लैक होल की खोज कार्ल स्क्वार्जस्चिल्ड और जॉन व्हीलर ने की थी।
5. यह हो सकता है कि आप किसी दूसरे ग्रह पर जीवन की तलाश में निकले हों या फिर अंतरिक्ष यान से बाहर निकले हों और तभी ब्लैक होल की चपेट में आ जाएं और उसमें गिर जाएं। ऐसे में आपके साथ क्या होगा, इसकी कई संभावनाएं हैं। मतलब यह कि एक बात तो स्पष्ट है कि ब्लैक होल में गिरने के बाद आप ब्लैक होल की बाहरी सतह पर जल कर राख हो सकते हैं या फिर उसके अंदर आसानी से पहुंचकर अनंत गहराइयों में खो सकते हैं।