Photo courtesy : terrapower company usa.
नेट्रियम न्यूक्लियर पॉवर प्लांट ( Natrium Nuclear Power Plant )
माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स की कंपनी टेरापॉवर जीई हिताची न्यूक्लियर एनर्जी एवं अमेरिकी अरबपति वॉरेन बफेट की कंपनी पेसीकार्प के सहयोग से विश्व में एक नई प्रौद्योगिकी के नाभिकीय रिएक्टर 'नेट्रियम' का निर्माण किया जा रहा है। स्पेन की न्यूक्लियर इंडस्ट्री फोरम ने भी टेरापॉवर के साथ मिलकर इस तकनीक को विकसित किया है, साथ ही इस परियोजना में बहुत सी कंपनियां, विश्वविद्यालय एवं राष्ट्रीय प्रयोगशालाएं भी शामिल हैं।
यह परियोजना बिल गेट्स के जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई एवं बार-बार इस्तेमाल की जा सकने वाली नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लक्ष्य का एक हिस्सा है, जो विश्व में इस प्रौद्योगिकी से प्रतिस्पर्धात्मक मूल्य पर एक लचीली, स्वच्छ ऊर्जा उपलब्ध कराएगा।
चौथी पीढ़ी (IV जेनरेशन) के इस नॉन लाइट वॉटर रिएक्टर के कई लाभ हैं जिनमें उत्तम आर्थिक संभावनाएं, ईंधन का बेहतर तरीके से उपयोग, औद्योगिक प्रक्रिया ताप अनुप्रयोगों हेतु उच्च तापमान पर प्रचालन, एकीकृत ऊर्जा भंडारण प्रणाली एवं ईंधन चक्र बंद करने का सामर्थ्य शामिल है। नेट्रियम प्रौद्योगिकी नाभिकीय प्रौद्योगिकियों में तीव्रतम एवं कम लागत का वह मार्ग है, जो प्रगत एवं स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में विश्व में परिवर्तन ला सकता है।
इस परियोजना हेतु अमेरिकी ऊर्जा विभाग ने टेरापॉवर को 80 मिलियन डॉलर की आरंभिक सहायता उपलब्ध कराई है। इस संबंध में टेरापॉवर ने अमेरिकी ऊर्जा विभाग के साथ मई 2021 में एक सहयोग संबंधी करार पर हस्ताक्षर किए हैं। इस परियोजना के लिए अमेरिकी कांग्रेस ने भी एड्वांस रिएक्टर डेमो प्रोग्राम के तहत 160 मिलियन डॉलर का प्रावधान रखा है।
नेट्रियम प्रौद्योगिकी : टेरापॉवर के अनुसार यह ऊर्जा उत्पादन और भंडारण की नई तकनीकी है। इसमें द्रुत सोडियम रिएक्टर और तरल नमक से भंडारण तकनीक को साथ-साथ इस्तेमाल किया जाता है और ये 345 मेगावॉट बिजली उत्पादन की क्षमता रखता है। कंपनी के मुताबिक ये भंडारण तकनीक जरूरत पड़ने पर साढ़े 5 घंटे तक 500 मेगावॉट बिजली की आपूर्ति मांग के अनुसार कर सकता है। यह एक नई तकनीक है जिसका उद्देश्य मौजूदा रिएक्टर की तकनीक को और अधिक आसान बनाना है।
यह सोडियम शीतित द्रुत रिएक्टर में उच्च स्तर की रेडीनेस प्रौद्योगिकी स्तर है, जो किसी भी प्रगत नॉन लाइट वॉटर रिएक्टर में प्रयुक्त की जाती है एवं अकार्बनिकरण के लिए व्यावसायिक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली प्रौद्योगिकी में तीव्र रूप से प्रभावी हो सकती है। इसमें मोल्टन सॉल्ट आधारित भंडारण प्रौद्योगिकी को अंगीकार किया गया है एवं विश्व में व्यापक रूप से केंद्रित सौर ऊर्जा उद्योगों में भी प्रमाणित किया जा चुका है।
नेट्रियम प्रौद्योगिकी रिएक्टर ताप उत्पन्न करता है जिसका उपयोग तत्काल विद्युत उत्पादन में होता है और उनको तापीय भंडारों में संरक्षित रखा जाता है एवं ग्रिड से जब भी आवश्यक मांग आने पर या नवीकरणीय ऊर्जा उपलब्ध न होने पर विद्युत में परिवर्तित किया जा सकता है। यह नेगेटिव कार्बन फुट प्रिंट का लक्ष्य हासिल करने का सबसे तेज एवं स्वच्छ मार्ग है। यह छोटा रिएक्टर मांग पर ऊर्जा उपलब्ध कराएगा एवं इससे CO2 गैसों के उत्सर्जन में कमी आएगी व सैकड़ों नौकरियां भी पैदा होंगी।
प्रक्रिया : यह एक प्रगत उच्च ताप न्यूक्लियर रिएक्टर है जिसमें प्राकृतिक यूरेनियम और निम्न परिस्कृत यूरेनियम (5-20%) को ईंधन के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा। इसके अलावा सभी गैर परमाणु उपकरणों को अलग-अलग भवनों में रखा जाएगा जिससे इसको स्थापित करने में आसानी रहेगी एवं लागत में कमी आएगी।
यह रिएक्टर पिघले नमक (Molten Salt) से भरे एक बहुत बड़े टैंक के साथ जुड़ा होता है जिसमें ऊर्जा का भंडारण होता है। विद्यमान नाभिकीय संयंत्रों में पानी को गर्म कर वाष्प बनाते हैं, जो टर्बाइन को विद्युत उत्पादन हेतु घुमाती है। लेकिन नेट्रियम संयंत्र प्रणाली में सभी संयंत्रों द्वारा ऊर्जा को टैंकों में ऊष्मा की जगह प्रेषित किया जाता है एवं वे उपकरण जो ऊष्मा को वाष्प में परिवर्तित करते हैं एवं तत्पश्चात उन्हें टैंक के दूसरी तरफ विद्युत ऊर्जा से जोड़ा जाता है। परिणामस्वरूप रिएक्टर बिना अवरोध के 24 घंटे 7 दिन मांग के अनुसार चलाया जा सकता है एवं ऑपरेटर भंडारित ऊष्मा से ग्राहक की मांग के अनुसार बिजली बना सकता है। इस प्रणाली के संचालन हेतु जेनरेटर, टर्बाइन एवं विद्युत जेनरेटर को रिएक्टर से दूर रखा जाता है एवं उनमें लगने वाले शेल्फ घटकों का निर्माण व्यावसायिक मानकों के अनुसार किया जाता है, जो न्यूक्लियर ग्रेड उपकरणों की तुलना में कम खर्चीले एवं इनसे नेट्रियम ग्रिड में या जेनरेटर में त्रुटियों द्वारा कोई बाधा उत्पन्न नहीं होती है जबकि वर्तमान रिएक्टरों को ऑफ लाइन करना होता है। इसके अतिरिक्त वर्तमान ताप प्रचालन से उच्च ताप पर भी प्रचालित होगा। नेट्रियम रिएक्टर का प्रस्ताव बनाने में टेरापॉवर द्वारा ट्रेवलिंग वेव रिएक्टर पर एवं जीई हिताची द्वारा प्रिज्म रिसर्च पर वर्षों काम करने के बाद सफलता मिली। नेट्रियम वर्तमान के दाबित जल रिएक्टर के मुकाबले निम्न दाम पर चलता है एवं निम्न दाब के कारण निर्माण बहुत आसान एवं कम खर्चीला हो गया है।
( तापीय भंडारण ही ऊष्मीय बैटरी है )
तापीय भंडारण प्रणाली से रिएक्टर को जोड़ने की बजाय सीधे ही विद्युत जेनरेटर से जोड़ने से रिएक्टर ग्रिड के कुल उत्पादन को आसान बना देता है। विभिन्न मौसमीय दशाओं में भी रिएक्टर तीव्र गति से चलता है एवं बड़ी मात्रा में कम खर्चीली ऊर्जा भंडारण प्रणाली को आवेशित किया जाता है। जब वहां भरपूर हवा एवं सूर्य ऊर्जा मौजूद हो एवं उनकी अनुपस्थिति में विद्युत इस्तेमाल की जाती है।
ऊष्मा ऊर्जा भंडारण करने का सबसे सरल एवं सस्ता रास्ता है एवं रिएक्टर कार्बनमुक्त ताप बनाने का उत्कृष्ट साधन है।
तापीय भंडारण की संकल्पना नेट्रियम भागीदारों के लिए कोई अनूठी नहीं है। हाल ही में विश्व के दर्जनों इंजीनियरों ने तापीय भंडारण के अनुप्रयोगों पर आयोजित एक वर्कशॉप में इस बारे में चर्चा की जिसमें भंडारण का साधन पिघली धातु या नमक या और कुछ भी हो सकता है, जैसे साधारण चट्टान या कांक्रीट का ढेर।
यह इनोवेशन संयुक्त रूप से प्रगत सोडियम द्रुत रिएक्टर के साथ ऊर्जा भंडारण संयंत्रों को उच्च क्षमता स्तर पर चलाने में सक्षम है।
नेट्रियम प्रौद्योगिकी औद्योगिक प्रक्रियाओं हेतु आवश्यक ताप भी प्रदान करती है, जो वर्तमान में जीवाश्म ईंधन पर निर्भर है। इसमें खारे जल को पीने योग्य बनाना, शहरों में उद्योगों को ताप उपलब्ध कराना या हाइड्रोजन उत्पादन, पेट्रोरसायन, स्टील का कार्बनमुक्त उत्सर्जन का उत्पादन शामिल है।
यह लाइट वॉटर रिएक्टर के मुकाबले चार गुना ईंधन कम खर्च करेगा एवं प्रति मेगावॉट नाभिकीय ग्रेड का 80% तक कम कांक्रीट का ही उपयोग होगा।
[ नेट्रियम प्लांट एवं इसकी भंडारण तकनीक जरूरत होने पर सतत साढ़े पाचं घंटे तक 500 मेगावॉट बिजली आपूर्ति कर सकते हैं जिससे साढ़े चार लाख घरों में बिजली आपूर्ति हो सकती है।]
[इस परियोजना का पेटेंट हो चुका है एवं यह प्लांट अमेरिका के व्योमिंग राज्य में बनाया गया है, जो अमेरिका में सबसे बड़ा कोयला उत्पादक राज्य है।]
टेरापॉवर ने कहा कि नेट्रियम रिएक्टर और इसका एकीकृत पॉवर सिस्टम बताता है कि परमाणु ऊर्जा में अनेक संभावनाएं हैं एवं इसमें प्रतिस्पर्धा की जा सकती है।
प्लांट के इस वर्ष 2021 में शुरू होने की संभावना है एवं यह पहला व्यावसायिक प्रगत न्यूक्लियर रिएक्टर प्रौद्योगिकी पर आधारित होगा।
संदर्भ :
1. टेरापॉवर वेबसाइट।
2. NEI वेबसाइट।
3. नेट्रियम प्रौद्योगिकी।
4. Photo courtesy : terrapower company usa.
लेखक : मनोज शर्मा (पूर्व संयुक्त निदेशक- परमाणु उर्जा विभाग, अनुवादक, स्वतंत्र लेखक और योग शिक्षक।)