बैंकाक। आम तौर पर जाना जाता है कि मछलियां पानी के बाहर जिंदा नहीं रह पाती हैं और पानी से दूर करने पर ही उनकी मौत हो जाती है। लेकिन थाईलैंड में पाई जाने वाली मडस्किपर (दलदल में रेंगने वाली) एक ऐसी मछली होती है जोकि पानी के बाहर भी जिंदा रह सकती है और दलदली जमीन पर रेंग-रेंगकर चल सकती है। यह मछली जमीन पर बाहर आकर कीडें, मकोड़ों को अपना भोजन बनाने के लिए घूमती रहती है।
इस कारण से यह जल और थल दोनों स्थानों पर रह सकती है। जीव वैज्ञानिकों के अनुसार यह एक एम्फीबियंस प्राणी है। हालांकि मछलियां जमीन पर नहीं रह सकती हैं लेकिन मडस्किपर मछली पानी के बाहर जिंदा रहने के साथ-साथ जमीन पर आराम से चलती भी है तो भरोसा करना मुश्किल होगा। पर ये सच है थाईलैंड से लगने वाले प्रशांत महासागर (पैसेफिक ओशन) में ‘मडस्किपर’ नामक प्रजाति की मछलियां पाई जाती हैं, जो पानी से बाहर सांस तो लेती ही है और बाहर निकलकर मजे से कई-कई घंटे तक धरती पर खेलती-कूदती है।
चूंकि यह सामान्य मछलियों की प्रकृत्ति के विपरीत है इस कारण से इसका शरीर इस तरह से बना है कि यह पानी के अंदर और बाहर संतुलन बनाए रखने में सफल रहती है। यह सब संभव होता है इसके शरीर में बने दो स्पंज पाउच की वजह से। यह ऐसे दो थैलेनुमा खोल होते हैं जिनका उपयोग यह जमीन पर आते वक्त इनमें पानी भर लेती है।
इसी पानी से अपने गलफड़ों को गीला रखती है और जब दोनों थैलियों वाला पानी खत्म हो जाता है या सूख जाता है तो ये अपने मुंह से ऑक्सीजन ले लेती हैं। इसी वजह से ये कई घंटों तक पानी के बाहर भी मजे से रह सकती हैं। कीचड़ और दलदल में रहने वाली इस मछली की आंखें इसके सिर के ऊपर वाले हिस्से पर होती हैं और आकार में बड़ी प्रतीत होती हैं।