लाल किताब का ज्योतिष परंपरागत ज्योतिष से थोड़ा भिन्न है। इसमें अंधराती कुंडली के बारे में भी विस्तार से बताया गया है। परंतु यहां प्रस्तुत है संक्षिप्त में यह जानकारी की अंधराती कुंडली क्या है और किसी तरह इसके उपाय कर सकते हैं।
1. लाल किताब के अनुसार अंधराती कुण्डली तो ग्रह सूर्य और शनि के कारण बनती है। जब कुंडली के चतुर्थ भाव में सूर्य और सप्तम भाव में शनि हो तो इसे अंधी या अन्धराती कुंडली मानते हैं।।
2. सूर्य जहां हमारे आत्मबल का कारक है वहीं चंद्र मनोबल का। चंद्र के पक्के चतुर्थ भाव में सूर्य है और जब उस पर शनि की दशम दृष्टि पड़ती है तो सूर्य और चंद्र सहित दशम भाव शनि के द्वारा पीड़ित हो जाते हैं।
3. ऐसी स्थिति में जातक को पारिवारिक, व्यवसायिक एवं सामाजिक सहित कर्म क्षेत्र में भी परेशानियां खड़ी होती है। योग्य होने के बावजूद जातक का जीवन में सफलता नहीं मिलती है। ऐसे में निम्नलिखित सामान्य उपाय करें।
4. यदि कुंडली में प्रथम भाव में कोई ग्रह हो तो बांस की काली बांसुरी में देसी खांड या चीनी भरकर किसी सुनसान जगह पर दबा आएं।
5. यदि प्रथम भाव में कोई भी ग्रह न हो अर्थात प्रथम भाव रिक्त हो तो मिट्टी के कुल्हड़ में शहद भरकर सुनसान जगह पर दबा आएं। इससे शनि के बुरे फल मिलना बंद हो जाएंगे।