धनु और मीन का स्वामी गुरु कर्क में उच्च का और मकर में नीच का होता है। लाल किताब में चौथे भाव में गुरु बलवान और सातवें, दसवें भाव में मंदा होता है। बुध और शुक्र के साथ या इनकी राशियों में बृहस्पति बुरा फल देता है। लेकिन यहां सातवें घर में होने या मंदा होने पर क्या सावधानी रखें और उपाय करें, जानिए।
कैसा होगा जातक : ऐसा साधु जो न चाहते हुए भी गृहस्थी में फंस गया है। यदि बृहस्पति शुभ है तो ससुराल से मिली दौलत बरकत देगी। ऐसा व्यक्ति आराम पसंद होता है लेकिन यही उसकी असफलता का कारण भी है। सातवां घर शुक्र का होता है। शुक्र और गुरु एक दूसरे के शत्रु हैं, अत: यह मिश्रित परिणाम देगा। घर के मामले में मिलने वाला अच्छा परिणाम चंद्रमा की स्थिति पर निर्भर करेगा।
जातक का भाग्योदय शादी के बाद होगा, लेकिन यदि बुध नौवें भाव में हो तो जातक का वैवाहिक जीवन परेशानियों से भरा होगा। जातक देनदार नहीं हो सकता है लेकिन उसके अच्छे बच्चे होंगे। सातवें घर में बृहस्पति पिता के साथ मतभेद का कारण बनता है। यदि सूर्य पहले भाव में हो तो जातक एक अच्छा ज्योतिषी और आराम पसंद होगा। लेकिन बृहस्पति सातवें भाव में नीच का हो और शनि नौवें भाव में हो तो जातक में चोरी के गुण हो सकते हैं। यदि बृहस्पति नीच का हो तो जातक को भाइयों से सहयोग नहीं मिलेगा साथ ही वह सरकार के समर्थन से भी वंचित रह जाएगा।
5 सावधानियां :
1. साधु और फकीरों से दूर रहें।
2. संतान की नहीं पत्नी की सुनें।
3. पराई स्त्री से संबंध न रखें।
4. घर में मंदिर रखना या बनाना अर्थात परिवार की बर्बादी। घर में किसी भी देवता की मूर्ति न रखें।
5. कभी भी किसी को कपड़े दान न करे, अन्यथा गरीबी की चपेट में आ जाएंगे।
क्या करें :
1. शिव की आराधना करें।
2. मस्तक पर केसर का तिलक लगाएं।
3. गुरुवार और एकादशी का व्रत रखें।
4. उत्तम वचन बोलें और सभी का सहयोग करें।
5. हमेशा अपने साथ किसी पीले कपडे में बांध कर सोना रखें।