धनु और मीन का स्वामी गुरु कर्क में उच्च का और मकर में नीच का होता है। लाल किताब में चौथे भाव में गुरु बलवान और सातवें, दसवें भाव में मंदा होता है। बुध और शुक्र के साथ या इनकी राशियों में बृहस्पति बुरा फल देता है। लेकिन यहां छठवें घर में होने या मंदा होने पर क्या सावधानी रखें और उपाय करें, जानिए।
कैसा होगा जातक : आपने देखें होंगे मुफ्तखोर साधु। साधु न भी है तो मुफ्तखोर तो है ही। ऐसे व्यक्ति को कई चिजे बिना मांगे या बिना मेहनत के ही मिल जाती है यह अलग बात है कि वह इसकी कदर करता है या नहीं। यदि शनि शुभ हो तो आर्थिक हालात ठीक होगी। इस जगह बृहस्पति यदि अशुभ हो तो समझो कि बस जैसे-तैसे आम जरूरते पुरी होती रहेगी। केतु बारहवें में बैठा शुभ हो तो ही दौलतमंद बन सकता है। यहां स्थित बृहस्पति जातक के पिता के अस्थमा रोग का कारण बनता है।
छठवां घर बुध का है लेकिन केतु का भी इस घर पर प्रभाव माना जाता है। इसलिए यह घर बुध, बृहस्पति और केतु का संयुक्त प्रभाव देगा। यदि बृहस्पति शुभ होगा तो जातक पवित्र स्वभाव का होगा। यदि बृहस्पति छठवें घर में हो और केतु शुभ हो तो जातक स्वार्थी हो जाएगा। हालांकि, यदि केतु छठवें घर में अशुभ है और बुध भी हानिकर है तो जातक का जीवन उम्र के 34वें साल तक ठीक नहीं रहेगा। हालांकि आप विद्वान ज्योतिष बन सकते हैं या गुप्त विद्याओं में आपकी रुचि रहेगी। लेकिन आपको चिकित्सा बनना चाहिए।
5 सावधानियां :
1. बहन, मौसी, बुआ से अच्छा व्यवहार रखें।
2. मेहनत से कमाएं पर ही गुजारा करें।
3. तंत्र-मंत्र के चक्कर में ना पड़े।
4. कभी भी झूठ ना बोलें।
5. लापरवाही और आलस्य को त्याग दें। प्राप्त चिजों की कदर करें।
क्या करें :
1. माता दुर्गा की पूजा करें।
2. पीपल को जल चढ़ाएं।
3. बुधवार का व्रत रखें।
4. मुर्गे को दाना और साधु या पंडित को वस्त्र दान दें।
5. गुरु से संबंधित वस्तुओं का मंदिर में दान करना श्रेष्ठ है।