लाल किताब के अनुसार मकान का वास्तु कुछ अलग तरह का ही होता है और मकान, घर या भवन पर किस ग्रह की छाया या प्रभाव पड़ रहा है इस संबंध में भी विस्तार से बताया गया है। यहां प्रस्तुत है 15 खास बातें।
1. जन्मपत्रिका के भाव 3 में केतु हो तो जातक को दक्षिणामुखी घर में नहीं रहना चाहिए। रहेगा तो बर्बाद हो जाएगा।
2. एक बार भवन निर्माण शुरू हो जाए तो उसे बीच में न रोकें। अन्यथा अधूरे मकान में राहु का वास हो जाएगा।
3. जिनका घर राहु का घर है वह अंदर से बहुत ही भयानक अहसास वाला होता है। कई दिनों से खाली पड़ा डरावना-सा मकान भी राहु के असर वाला घर हो सकता है।
4. शनि यदि अष्टमभाव में हो तो खुद का मकान बनाने की सोचने से पहले अपनी कुंडली की जांच करा लें अन्यथा मुसीबत में फंस जाएंगे।
5. घर में यदि तलघर है तो यह शनि का मकान माना जाता है। यह किसी के लिए अच्छा और किसी के लिए खराब होता है।
6. आठ कोने के मकान लंबी बीमारी, मुसीबत और मृत्यु को दर्शाता है। शनि अष्टम में होने के संकेत। 18 कोने के मकान है तो धन की हानि, विवाह का नहीं होना। विवाह हो जाए तो विधुर-विधवा योग बनते हैं। इसी तरह 3 और 13 कोने वाला मकान साजिश में बर्बादी को दर्शाता है। 5 कोने वाला मकान संतान की बर्बादी।
7. कोने का मकान होगा। तीन तरफ मकान एक तरफ खुला या तीन तरफ खुला हुआ और एक तरफ कोई साथी मकान या खुद उस मकान में तीन तरफ खुला होगा। ऐसा मकान केतु के मकान होता जो घटना और दुर्घाटना या अचानकर हुए धोखे का मकान माना जाता है।
8. कुंडली में राहु यदि 12वें अथवा 8वें भाव में है तो मकान बनाते समय छत पर किसी भी प्रकार का अटाला रखने का स्थान न बनाएं या छत पर कूड़ा करकट, कोयला, कागज आदि का भंडारण स्थान कक्ष न बनवाएं। यदि मकान की छत पर तंदुर लगाया तो राहु कहीं भी हो वह कुंडली के 12वें घर में स्थापित हो जाएगा। ठीक दक्षिण दिशा में शौचायल होने से राहु छटे घर में स्थापित हो जाता है जो कुंडली में राहु के बुरे फल का नाश कर देता है।
9.जिस जातक का सूर्य ऊंचा हो उसे पूर्व दिशा के दरवाजे वाले मकान में रहना चाहिए जबकि शनी ऊंचा हो तो पश्चिम दिशा का दरवाजा शुभ फल देगा। इसी तरह कुंडली में अन्य ग्रहों की जांच करके ही दिशा का चयन करें।
10.जन्मकुंडली के खाना नंबर 1 में शनि हो और खाना नंबर 6, 7 और 10 में कोई ग्रह बैठा हो जिनकी आपस में बनती न हो या वे एक दूसरे को दूषित कर रहे हैं तो खाना नंबर 8 भी दूषित होगा या फिर जातक ने अपने कर्मों से दूषित कर लिया होगा। ऐसा जातक अगर मकान बना ले तो रोटी-रोटी से मोहताज हो जाता है।
11. कुंडली के खाना नंबर 2 में शनि बैठा हो और कुंडली में शुक्र एवं मंगल ग्रह शुभ हो तो जातक अपना मकान जब और जैसा बने उसको बनने दें उसमें कोई दखल न दें तभी वह फलीभूत होगा। लेकिन यदि शनि खाना नंबर 3 में हो तो मकान तो बनेगा लेकिन 2 कुत्ते पालने होंगे वर्ना उसके घर में गरीबी का कुत्ता भोंकता रहेगा।
12. यदि शनि खाना नंबर 4 में हो और वो जातक नया मकान बनाने लगे तो उसके नाना के खानदान में, ससुराल के खानदान में और दादी या बुजुर्ग औरतों पर इसका बुरा असर होगा इसी तरह यदि शनि खाना नंबर 5 में हो तो औलाद पर बुरा असर होना शुरू होगा और नंबर 6. में हो तो अपना मकान 39 साल के बाद बनवाए वर्ना लड़कियों के रिश्तेदारों पर बुरा असर होगा।
13. शनि खाना नंबर 7 में होने पर जातक को अपना मकान खुद नहीं बनाना चाहिए बल्कि उसे हमेशा बना-बनाया मकान ही लेना चाहिए और यदि शनि खाना नंबर 8 में हो और शुक्र, मंगल ग्रह भी दूषित हो रहे हों तो जातक को अपने नाम से मकान नहीं बनवाया चाहिए। मकान बनवा रहे हैं तो उधर जाकर देखना भी नहीं चाहिए। वर्ना बर्बादी प्रारंभ हो जाएगी।
14. यदि जन्मकुंडली में शनि खाना नंबर 9 में हो और मकान बनाते समय घर की कोई महिला महिला गर्भवती तो उस जातक को अपनी कमाई से मकान नहीं बनाना चाहिए। उसके आगे-पीछे बना सकते हैं। इसी तरह अगर शनि खाना नंबर 10 में हो तो भी जातक को अपनी कमाई से मकान नहीं बनाना चाहिए। वह इस नियम का पालन करता है तो उसकी दौलत हमेशा बनी रहेगी।
15. शनि खाना नंबर 11 में हो तो वो जातक कभी भी मकान आदि दक्षिण दिशा का न बनाएं और न ही कभी शराब आदि का सेवन करें। वर्ना सेहत की कोई गारंटी नहीं। अगर मकान बनाना भी हो तो अपनी उम्र के 55 साल के बाद ही अपना मकान बनाएं। इसी तरह यदि शनि खाना नंबर 12 में हो तो मकान बनेगा और जैसा बने उसे बनने दें उसे रोके नहीं या उसमें अपना दिमाग ना लगाएं।