आपने अक्सर देखा होगा कि लाल किताब में कुछ उपायों को 43 दिन तक करने की सलाह दी जाती है। जैसे 43 दिन तक सिरहाने तांबे के लौटे में जल रखकर सोएं और उसे प्रतिदिन बाहर ढोलकर नया जल भर लें या नाक में 43 दिन के लिए चांदी का तार डाल कर रखें आदि। आओ जाते हैं कि आखिर 43 दिन की क्यों कहे जाते हैं।
दरआल, लाल किताब में एकेश्वरवाद का बहुत महत्व है। श्राद्ध करने और पुराने रीति रिवाज के साथ ही पक्षी, गाय, कुत्ता, हाथी, और चींटियों को भोजन देने का भी महत्व है। लाला किताब के अनुसार घर में पूजा पाठ करने के बजाय मंदिर में करना अच्छा माना जाता है। हर कुंडली के ग्रह 35 वर्ष में एक चक्र पूरा कर लेते हैं। जो ग्रह पहले चक्र में बुरा फल देते हैं वे दूसरे चक्र में बुरा फल नहीं देते। अच्छे की गारंटी नहीं। बुध का सबसे बुरा फल कुंडली के तीसरा और 12वें घर में मिलता है।
दशम स्थान (घर) शनि का स्थान है। 12 से 11 घरों का उपचार हो सकता है किंतु 10वें घर का नहीं। ग्रहों का उपचार तो हो सकता है किंतु घर का नहीं। यह धरती जीस धुरी पर घुमती है वह कुंडली का दसवां घर है।
लाल किताब मानती है कि जब कोई मर जाता है तो घर में कम से कम 40 दिन तक सूतक रहता है तो हम 3 दिन और उपर मान लेते हैं। 28 नक्षत्र और 12 राशि का संपूर्ण चक्र 40 दिन में पूरा हो जाता है। 28+12=40 होता है।