कुछ लोगों पर अचानक कोई संकट आ जाता है तो कुछ लोग सालों से संकटों का सामना कर रहे हैं। मान जाता है कि संकटों का कारण पितृदोष, कालसर्प दोष, शनि की साढ़े साती और ग्रह-नक्षत्रों के बुरे प्रभाव होते हैं। कुछ लोग मानते हैं कि सभी कुछ अच्छा है लेकिन यदि आपका घर दक्षिण मुखी है तो आप जिंदगी भर परेशान रहेंगे।
यह भी माना जाता है कि उपरोक्त कारणों के कारण व्यक्ति के घर में गृह कलह, आर्थिक संकट, वैवाहिक संकट और दुख बना रहता है। इसी कारण व्यक्ति को कोर्ट कचहरी या दवाखाने के चक्कर काटते रहना पड़ते हैं या अन्य किसी प्रकार का संकट खड़ा होता है। हालांकि कुछ विद्वान यह भी कहते हैं कि सब कर्मों का लेखा जोखा है अर्थात कर्म सुधार लो तो सब कुछ सुधरने लगता है। अब हम आपके कर्म तो सुधार नहीं सकते, लेकिन यहां लाल किताब के अनुसार कुछ सावधानी और उपाय जरूर बता सकते हैं।
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सावधानियां :
1.किसी भी प्रकार का व्यसन और नशा न करें। करते हों तो त्याग दें।
2.ब्याज का कार्य करते हो तो त्याग दें।
3.तेरस, चौदस, अमावस्या तथा पूर्णिमा के दिन पवित्र बने रहें।
4.दादी, सास, मां, बहन, बेटी, पत्नी, मौसी, साली और बुआ से संबंध अच्छे रखें।
5.दादा, पिता, ससुर, भाई, काका, मामा, भांजे, साले, बहनोई, भतीजे और भाई से संबंध अच्छे रखें।
6.मांस और तामसिक भोजन को त्याग दें और नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
7.दान देने या लेने से पहले अपनी कुंडली किसी लाल किताब के विशेषज्ञ को दिखाएं।
8.घर को वास्तु अनुसार बनाएं और उसके आसपास साफ-सफाई का ध्यान रखें।
9.लाल किताब के सभी उपाय दिन में ही करें। उपाय करने से पहले अपनी कुंडली का अच्छे से विश्लेषण कर लें।
10.सभी तरह के तांत्रिक अनुष्ठान और रात्रि के घोर कर्मों से दूर रहें।
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हनुमान चालीसा पढ़ना : प्रतिदिन संध्यावंदन के साथ हनुमान चालीसा पढ़ना चाहिए। संध्यावंदन घर में या मंदिर में सुबह-शाम की जाती है। पवित्र भावना और शांतिपूर्वक हनुमान चालीसा पढ़ने से हनुमानजी की कृपा प्राप्त होती है, जो हमें हर तरह की जानी-अनजानी होनी-अनहोनी से बचाती है। हनुमान चालीसा पढ़ने से जहां पितृदोष, मंगलदोष, राहु-केतू दोष आदि दूर होते हैं वहीं भूत-प्रेतादि का बुरा असर या साया भी हट जाता है।
हनुमानजी को चढ़ाएं चोला : इसके अलावा आप मंगलवार और शनिवार को बजरंगबाण का पाठ करें और हो सके तो किसी शनिवार को हनुमानजी को चोला चढ़ाएं और उन्हें बनारसी पान का बीड़ा भी अर्पित करें। कम से कम 5 बार हनुमानजी को चोला चढ़ाएं, तो तुरंत ही संकटों से मुक्ति मिल जाएगी। इसके अलावा प्रति मंगलवार या शनिवार को बढ़ के पत्ते पर आटे का दीया जलाकर उसे हनुमानजी के मंदिर में रख आएं। ऐसा कम से कम 11 मंगलवार या शनिवार को करें।
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गाय, कुत्ते, चींटी और पक्षियों को भोजन खिलाएं : वृक्ष, चींटी, पक्षी, गाय, कुत्ता, कौवा, अशक्त मानव आदि प्राणियों के अन्न-जल की व्यवस्था करने से इनकी हर तरह से दुआ मिलती है। इसे वेदों के पंचयज्ञ में से एक 'वैश्वदेव यज्ञ कर्म' कहा गया है। यह सबसे बड़ा पुण्य माना गया है। कछुओं और मछलियों को नित्य आटे की गोलियां खिलाएं और चीटियों को भुने हुए आटे में बूरा मिलाकर बनाई पंजीरी खिलाएं।
* प्रतिदिन कौवे या पक्षियों को दाना डालने से पितृ तृप्त होते हैं।
* प्रतिदिन चींटियों को दाना डालने से कर्ज और संकट से मुक्ति मिलती है।
* प्रतिदिन कुत्ते को रोटी खिलाने से आकस्मिक संकट दूर रहते हैं।
* प्रतिदिन गाय को रोटी खिलाने से आर्थिक संकट दूर होता है।
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छाया दान करें : शनिवार को एक कांसे की कटोरी में सरसों का तेल और सिक्का (रुपया-पैसा) डालकर उसमें अपनी परछाई देखें और तेल मांगने वाले को दे दें या किसी शनि मंदिर में शनिवार के दिन कटोरी सहित तेल रखकर आ जाएं। यह उपाय आप कम से कम पांच शनिवार करेंगे तो आपकी शनि की पीड़ा शांत हो जाएगी और शनिदेव की कृपा शुरू हो जाएगी।
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नारियल का उतारा : पानीदार एक नारियल लें और उसे अपने ऊपर से 21 बार वारें। वारने के बाद उसे किसी देवस्थान पर जाकर अग्नि में जला दें। ऐसा परिवार के जिस सदस्य पर संकट हो उसके ऊपर से वारें।
उक्त उपाय किसी मंगलवार या शनिवार को करना चाहिए। 5 शनिवार ऐसा करने से जीवन में अचानक आए कष्ट से छुटकारा मिलेगा। यदि किसी सदस्य की सेहत खराब है तो ऊसके लिए यह ऊपाय उत्तम है।
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जल अर्पण : एक तांबे के लोटे में जल लें और उसमें थोड़ा-सा लाल चंदन मिला दें। उस पात्र को अपने सिरहाने रखकर रात को सो जाएं। प्रात: उठकर सबसे पहले उस जल को तुलसी के पौधे में चढ़ा दें। ऐसा 43 दिनों तक करें। धीरे-धीरे आपकी परेशानी दूर होती जाएगी।
इसके अलावा आप चाहें तो दूध-पानी मिश्रित भरा बर्तन सिरहाने रख कर सोएं और अगले दिन कीकर की जड़ में सारा दूध डाल दें। मानसिक रूप से आप खुद को स्वस्थ्य महसूस करेंगे और तनावमुक्त हो जाएंगे।
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दोनों कान छिदवाएं : हिन्दू धर्म में कर्ण भेदन संस्कार होता है। हालांकि आजकल इस संस्कार का कोई विधिवत रूप से पालन नहीं करता है। कुछ लोग एक ही कान छिदवाते हैं तो कुछ लोग दोनों कान छिदवाते हैं। हालांकि नियम दोनों ही कान छिदवाने का है। कान छिदवाने से राहु और केतु के बुरे प्रभाव का असर खत्म होता है। जीवन में आने वाले आकस्मिक संकटों का कारण राहु और केतु ही होते हैं अत: कान छिदवाना जरूरी है।
वैज्ञानिक अनुसार इस संस्कार से मस्तिष्क में रक्त का संचार सही प्रकार से होता है। मान्यता अनुसार कान छिदवाने से व्यक्ति के रूप में निखार आता है। इससे आंखों की रोशनी तेज होती है। कान छिदवाने से मेधा शक्ति बेहतर होती है तभी तो पुराने समय में गुरुकुल जाने से पहले कान छिदवाने की परंपरा थी।
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नाक छिदवाएं : कान की पालि (निचला भगा) और नाक के बाएं भाग को छिदवाया जाता है। नाक अक्सर सिर्फ महिलाओं की ही छिदवायी जाती है। लेकिन यदि लाल किताब के अनुसार आपका चंद्र, गुरु और बुध खराब स्थिति में है और इससे आपके जीवन में रोजगार, बहन पर संकट, माता पर संकट आदि की समस्या आ रही है तो नाक छिदवाने की सलाह दी जाती है।
जीवन में बार बार असफलता का सामना करना पड़ रहा है तो भी लाल किताब के विशेषज्ञ यह राय देते हैं। पुरुषों को भी एक बार नाक छिदवाकर उसे 43 दिन तक चांदी का तार डाल कर रखना चाहिए इससे उक्त समस्या में राहत मिलती है। हालांकि आप नाक छिदवाने के पहले अपनी कुंडली जरूर किसी लाल किताब के विशेषज्ञ को दिखा लें।
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कंबल दान करें : संकट के लिए प्रथमत: जिम्मेदार राहु और केतु के लिए यह उपाय है। काला और सफेद अर्थात एक ही कंबल में यह दोनों रंग होना चाहिए। कोई तीसरा रंग नहीं होना चाहिए अर्थात दोरंगी कंबल को 21 बार खुद पर से वारकर उसे किसी मंदिर में या गरीब को दान कर दें। इससे कई तरह के फायदे होते हैं।
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मंगल के उपाय : किसी लाल किताब के विशेषज्ञ से पूछकर सफेद सुरमा आंखों में लगाएं। बहते पानी में रेवड़िया, बताशे, शहद व सिंदूर बहाए। मंगलवार का व्रत रखे और क्रोध का त्याग करे दें।
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सभी ग्रहों का उपाय : .सूर्य- बहते पानी में गुड, ताम्बा या ताम्बे का सिक्का बहाए। चन्द्र- दूध या पानी भरा बर्तन सिरहाने रख कर सोएं और अगले दिन कीकर की जड़ में सारा जल डाल दें। मंगल- सफ़ेद सुरमा आंखों में लगाए, बहते पानी में रेवड़िया, बताशे, शहद व सिंदूर बहाए। बुध- कन्याओं को हरे वस्त्र और हरी चुड़िया दान करें, दांत साफ रखे।
गुरु- माथे पर चंदन या केसर का तिलक लगाएं, पीपल की जड़ में जल चढ़ाएं, चने की दाल दान करें। शुक्र- ज्वार, चरी, घी, कर्पुर, दही का दान करें, सुघंधित पदार्थो का प्रयोग करें। शनि- कीकर की दातुन करें, पेड़ों की जड़ों में तेल डालें। राहू- जौ को दूध से धोकर बहते पानी में बहाएं, मुली का दान करे या कोयला बहते पानी में बहाएं, जेब में चांदी की ठोश गोली रखें। केतु- काले और सफेद तिल बहते पानी में बहाएं।
अंत में करें कुछ सामान्य उपाय जो जरूरी है...
कर्पूर जलाना : प्रतिदिन सुबह और शाम घर में संध्यावंदन के समय कर्पूर जरूर जलाएं। हिन्दू धर्म में संध्यावंदन, आरती या प्रार्थना के बाद कर्पूर जलाकर उसकी आरती लेने की परंपरा है। पूजन, आरती आदि धार्मिक कार्यों में कर्पूर का विशेष महत्व बताया गया है। रात्रि में सोने से पूर्व कर्पूर जलाकर सोना तो और भी लाभदायक है। इससे तनावमुक्त गहरी नींद आती है।
वास्तुदोष मिटाने हेतु : घर के वास्तुदोष को मिटाने के लिए कर्पूर का बहुत महत्व है। यदि सीढ़ियां, टॉयलेट या द्वार किसी गलत दिशा में निर्मित हो गए हैं तो सभी जगह 1-1 कर्पूर की बट्टी रख दें। वहां रखा कर्पूर चमत्कारिक रूप से वास्तुदोष को दूर कर देगा।
श्मशान का उपाय : यदि आप संकटों से जूझ रहे हैं, बार-बार एक के बाद एक कोई न कोई संकट से आप घिर जाते हैं तो किसी की शवयात्रा में श्मशान से लौटते वक्त कुछ सिक्के पीछे फेंकते हुए आ जाएं।
कालिका माता से क्षमा : अगर किसी मानसिक कलह, तनाव या परेशानी से जूझ रहे हैं तो शुक्रवार के दिन मां कालिका के मंदिर में जाकर उनसे अपने द्वारा किए गए सभी जाने-अनजाने पापों की क्षमा मांग लें और फिर कभी कोई बुरा कार्य नहीं करने का वादा कर लें। ध्यान रहे, वादा निभा सकते हों तो ही करें अन्यथा आप मुसीबत में पड़ सकते हैं। यदि आपने ऐसा 5 शुक्रवार को कर लिया तो तुरंत ही आपके संकट दूर हो जाएंगे।
11 या 21 शुक्रवार कालिका के मंदिर जाएं और क्षमा मांगते हुए अपनी क्षमता अनुसार नारियल, हार-फूल चढ़ाकर प्रसाद बांटें। माता कालिका की पूजा लाल कुमकुम, अक्षत, गुड़हल के लाल फूल और लाल वस्त्र या चुनरी अर्पित करके भी कर सकते हैं। भोग में हलवे या दूध से बनी मिठाइयों को भी चढ़ा सकते हैं। अगर पूरी श्रद्धा से मां की उपासना की जाए तो आपकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं। अगर मां प्रसन्न हो जाती हैं, तो मां के आशीर्वाद से आपका जीवन बहुत ही सुखद हो जाता है।