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कर्क राशि वालों के लिए सलाह

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अनिरुद्ध जोशी

अक्षर तालिका : ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो।
राशि विशेषता : शांत, कोमल एवं शीतल स्वभाव।
 
 
कर्क राशि (Cancer) का स्थान हृदय में होता है। इसके कारक ग्रह चंद्र और मंगल माने गए हैं। जल तत्व प्रधान कर्क राशि का स्वामी चंद्र है। भाग चर है और कर्क लग्न की बाधक राशि वृष तथा बाधक ग्रह शुक्र है। लेकिन लाल किताब अनुसार शत्रु और मित्र ग्रहों का निर्णय कुंडली अनुसार ही होता है।
 
 
लाल किताब अनुसार चतुर्थ भाव में कर्क राशि मानी गई है जिसके चंद्र का पक्का चतुर्थ माना जाता है। जल तत्व प्रधान कर्क राशि का स्वामी चंद्र है और इसे उत्तर दिशा का स्वामित्व प्राप्त है। लाल किताब की कुंडली अनुसार चंद्र के खराब या अच्छा होने की कई स्थितियाँ हैं। यदि आप कर्क राशि के जातक हैं तो आपके लिए यहाँ लाल किताब अनुसार सामान्य सलाह दी जा रही है।
 
 
अशुभ की निशानी : माता को कष्ट। चंद्रमा से संबंधित बीमारियों में दिल से संबंधित रोग या आँख की पुतली की बीमारियाँ प्रमुख हैं। सर्दी-जुकाम भी इसके अशुभ होने की निशानी है। घर के आसपास के नल, कुआँ, तालाब आदि का जल सूख जाता है। संवेदनशीलता एवं हृदय में भावनाओं की कमी हो जाती है। अत्याधिक बेचैनी और मानसिक तनाव बना रहता है। आत्महत्या करने के विचार बार-बार आते हैं। व्यक्ति घोर निराशावादी हो जाता है।
 
 
सावधानी व उपाय : 28 वर्ष पूर्ण होने पर ही विवाह करें। धार्मिक स्थान पर नंगे पैर जाएँ।
 
 
माँ के हाथों से चावल या दही खाकर ही किसी यात्रा का प्रारंभ करें। माँ की आज्ञा की अवहेलना न करें। मंदिर में राजमा के बीज रखें। बेटियों को दही, चावल या दूध दें। प्रतिदिन बड़ के वृक्ष में जल चढ़ाएँ। अपने मन की बातें किसी को न बताएँ।
 
सोमवार का व्रत रखें।
 
 

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