कुंडली में मंगल की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। मंगल के कारण ही मंगल दोष लगता है और मंगल के कारण ही जीवन में दंगल भी होता है। सबसे बड़ी बात यह कि मंगल के कारण ही जीवन में सभी कुछ मंगलमय भी होता है। इसीलिए यह जानना जरूरी है कि मंगल किस कारण से खराब होता है और क्या है मंगल के खराब होने की निशानी।
मंगल खराब होने के कारण :
1. यदि आप मांस, मटन, अंडे या मछली खाते हैं तो मंगल खराब हो जाएगा। यह भी कहा जाता है कि जो व्यक्ति जिस तरह का मांस खाता है, उसका उसी तरह का चरित्र और प्रवृत्ति का विकास होता है। जो बच्चे मां का दूध कम पीते हैं और जानवरों का ज्यादा, उनकी कार्यशैली में जानवरों जैसा ही व्यवहार देखा जा सकता है। दरअसल, मांस-मच्छी खाने से व्यक्ति के शरीर और मस्तिष्क की प्रकृति बदल जाती है। उसकी सोच बदल जाती है। सोच बदलती है तो वर्तमान बदलता है। वर्तमान बदलता है तो भविष्य भी बदल जाता है।
2. यदि आप अपने भाई या रक्त संबंधी से झगड़ते रहते हैं तो मंगल खराब हो जाएगा। रक्त खराब है तो भी मंगल खराब है।
3. यदि किसी भी प्रकार से क्रोध करते हैं या आपका चिढ़चिढ़ा स्वभाव है तो मंगल खराब हो जाएगा।
मंगल खराब की निशानी :
1. यदि आपका रक्त खराब या कम हो चला है तो मंगल खराब ही समझो। खून के खराब होने से और भी कई तरह की समस्याएं जन्मती हैं।
2. मंगल यदि अच्छा है तो जातक अच्छे पद पर जाता है जैसे राजनेता, पुलिस अफसर, इंजीनियर, खिलाड़ी या मैनेजर बनेगा आदि। परंतु यदि मंगल खराब है तो जातक में अपराधी प्रवृत्ति का विकास होता है। वह गुंडा, चोर, डाकू बन सकता है या वह हर समय क्रोध करने वाला, व्यर्थ ही गुस्सा दिखाने वाला मूर्ख व डरपोक व्यक्ति होगा। बद मंगल अपराधी बनाता है और नेक मंगल सेनापति, राजनेता, पुलिस ऑफिसर या बेहतर खिलाड़ी। बद मंगल के कारण थाने या जेल में रातें गुजारना पड़ती हैं।
3. मंगल के खराब होने से जीवन से पराक्रम, कार्य और शांति नष्ट हो जाती है। जातक हर समय आशंकित, भयभीत और चिंतित ही बना रहता है। मंगल हौसला और लड़ाई का प्रतीक है। यदि व्यक्ति डरपोक है तो मंगल खराब है।
4. घर का पश्चिम कोण यदि दूषित है तो मंगल भी खराब होगा।
5. चौथे और आठवें भाव में मंगल अशुभ माना गया है। किसी भी भाव में मंगल अकेला हो तो पिंजरे में बंद शेर की तरह है।
6. सूर्य और शनि मिलकर मंगल बद बन जाते हैं। मंगल के साथ केतु हो तो अशुभ हो जाता है। मंगल के साथ बुध के होने से भी अच्छा फल नहीं मिलता। सूर्य और बुध मिलकर नेक मंगल बन जाते हैं।
7. धर्म के मजाक उड़ाते रहना, भाई या मित्र से दुश्मनी मोल लेना, निरंतर क्रोध करना भी मंगल खराब होने की निशानी है। व्यक्ति हर समय झगड़ता रहता है। बहुत ज्यादा अशुभ हो तो बड़े भाई के नहीं होने की संभावना प्रबल मानी गई है। भाई हो तो उनसे दुश्मनी होती है।
8. बच्चे पैदा करने में अड़चनें आती हैं। पैदा होते ही उनकी मौत हो जाती है।
9. मंगल से रक्त संबंधी बीमारी होती है। रक्त की कमी या अशुद्धि हो जाती है। उच्च रक्तचाप, वात रोग, गठिया रोग, फोड़े-फुंसी होते हैं, जख्मी या चोट, बार-बार बुखार आना, शरीर में कंपन होते रहना, गुर्दे में पथरी हो जाती है, आदमी की शारीरिक ताकत कम होना, एक आंख से दिखना बंद हो जाना, शरीर के जोड़ काम नहीं करना और शरीर पर काले की बजाए लाल तील की संख्या बढ़ना मंगल खराब होने की निशानी है।