हमारे शरीर में कुछ विशेष स्थान पर ग्रहों का प्रभाव पड़ता है। शरीर में जल की मात्र चंद्र है तो खून मंगल है। इसी तरह शरीर के अन्य अंगों पर अन्य ग्रहों का प्रभुत्व रहता है। हर ग्रह व्यक्ति को कुछ न कुछ बीमारी जरूर देता है। वर्तमान में जो महामारी चल रही है उसका कारण शनी है। लाल किताब के अनुसार किसी भी प्रकार के रोग से बचने के लिए 5 अचूक उपाय।
1. जल अर्पण : एक तांबे के लोटे में जल लें और उसमें थोड़ा-सा लाल चंदन मिला दें। उस पात्र को अपने सिरहाने रखकर रात को सो जाएं। प्रात: उठकर सबसे पहले उस जल को कीकर के वृक्ष पर चढ़ा दें। ऐसा 43 दिनों तक करें। धीरे-धीरे आपकी परेशानी दूर होती जाएगी। मानसिक रूप से आप खुद को स्वस्थ्य महसूस करेंगे और तनावमुक्त हो जाएंगे। कीकर अर्थात बबूल का वृक्ष में नहीं डाल सकते हैं तो बाहर कहीं गमले में विसर्जित कर दें।
2. कंबल दान करें : संकट के लिए प्रथमत: जिम्मेदार राहु और केतु के लिए यह उपाय है। काला और सफेद अर्थात एक ही कंबल में यह दोनों रंग होना चाहिए। कोई तीसरा रंग नहीं होना चाहिए अर्थात दोरंगी कंबल को 21 बार खुद पर से वारकर उसे किसी मंदिर में या गरीब को दान कर दें। इससे संकट टल जाता है।
3. नारियल का उतारा : पानीदार एक नारियल लें और उसे अपने ऊपर से 21 बार वारें। वारने के बाद उसे किसी देवस्थान पर या घर के बाहर जाकर अग्नि में जला दें। ऐसा परिवार के जिस सदस्य पर संकट हो उसके ऊपर से वारें। उक्त उपाय किसी मंगलवार या शनिवार को करना चाहिए। 5 शनिवार ऐसा करने से जीवन में अचानक आए कष्ट से छुटकारा मिलेगा। यदि किसी सदस्य की सेहत खराब है तो ऊसके लिए यह ऊपाय उत्तम है।
4. छाया दान करें : शनिवार को एक कांसे की कटोरी में सरसों का तेल और सिक्का (रुपया-पैसा) डालकर उसमें अपनी परछाई देखें और तेल मांगने वाले को दे दें या किसी शनि मंदिर में शनिवार के दिन कटोरी सहित तेल रखकर आ जाएं। यह उपाय आप कम से कम पांच शनिवार करेंगे तो आपकी शनि की पीड़ा शांत हो जाएगी और शनिदेव की कृपा शुरू हो जाएगी।
5. हनुमान चालीसा पढ़ना : प्रतिदिन संध्यावंदन के साथ हनुमान चालीसा पढ़ना चाहिए। संध्यावंदन घर में या मंदिर में सुबह-शाम की जाती है। पवित्र भावना और शांतिपूर्वक हनुमान चालीसा पढ़ने से हनुमानजी की कृपा प्राप्त होती है, जो हमें हर तरह की जानी-अनजानी होनी-अनहोनी से बचाती है। हनुमान चालीसा पढ़ने से जहां पितृदोष, मंगलदोष, राहु-केतू दोष आदि दूर होते हैं वहीं भूत-प्रेतादि का बुरा असर या साया भी हट जाता है।
इसके अलावा ये भी कर सकते हैं-
* प्रतिदिन कुत्ते को रोटी खिलाने से आकस्मिक संकट दूर रहते हैं।
* शुक्रवार को लकड़ी के पाट पर बैठकर अच्छे से दही स्नान करने से चर्म रोग ठीक होते हैं।
* प्रतिदिन सुबह और शाम घर में संध्यावंदन के समय कर्पूर जरूर जलाएं।