लाल किताब में उपाय से ज्यादा सावधानियां होती हैं। जहां तक सवाल है उपाय का तो कई लोगों के मन में यह सवाल है कि उपाय से क्या होता होगा। क्या उपाय से कोई फायदा हो सकता है?
उत्तर : दरअसर हम जीवन भर कोई न कोई उपाय करते ही रहते हैं। जैसे बीमारी हुई तो दवा लेना, अंधेरे से बचने के लिए बिजली जलाना, ठंड आई तो गर्म कपड़े पहनना, बारिश हुई तो छाता लगाना। यह उपाय नहीं तो क्या है? इसी तरह यदि जीवन में कोई संकट है तो उस संकट का समाधान करना भी तो उपाय है। कई बार हमारे संकट किसी ग्रह नक्षत्र या वास्तुदोष के कारण उत्पन्न होते हैं जिसके उपाय करके हम अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं। लाल किताब में ऐसे कोई उपाय नहीं है जिसे आप टोना या टोटका समझें। यह तो हजारों वर्षों के अनुभव से प्राप्त उपाय हैं। आओ 5 प्रकार से जानते हैं कि यह कैसे काम करते हैं।
1.प्रारंभिक या प्राथमिक उपाय : पहले उपाय के अंतर्गत सामान्य उपाय होते हैं जैसे कुत्ते, गाय, कौवे, चींटी, गरीब आदि को प्रतिदिन अन्न जल देना या सुविधा एवं सामर्थ अनुसार ऐसा करना। जैसे नारियल को नदी में बहाना, बीमारी से बचने के लिए हलवा या कद्दू धर्मस्थान में देना। अचानक किसी घटना, दुर्घटना या नुकसान से बचने के लिए सिगरेट, शराब और मांसां से परहेज करना आदि। प्राथमिक उपचार करे बगैर दूसरे उपचार का कोई मतलब नहीं होता है। जैसे आप डॉक्टर के पास गए तो पहले वह आपका प्राथमिक उपचार ही करता है।
2. द्वितियिक उपाय : दूसरे तरह के उपाय में कुंडली में मंदे, नीचे या खराब ग्रहों के अनुसार उपाय बताए जाते हैं। इसके लिए कुंडली में देखना होता है कि कौनसा ग्रह किस खाने में बुरा असर डाल रहा है। उसके अनुसार ही लाल किताब के उपाय बताए जाते हैं। जैसे जैसे राहु खाना नं. 8 के लिए सिक्का दरिया में बहाने से, मंगल खाना नं. 8 के लिए विधवा की मदद करने से, बुध खाना नं. 8 के लिए नाक छिदवाने से, शनि खाना नं. 6 के लिए तेल की कुप्पी पानी की तलहटी के नीचे दबाने से फायदा होता है। इसे ग्रहों के उपचार कहते हैं।
3. तीसरा उपाय : तीसरी तरहके उपाय को फौरन उपाय कहते हैं। ऐसा तब किया जाता है जबकि किसी मंदे ग्रह का कोई उपाय काम नहीं करे तो कुछ घंटों के अंदर-अंदर फैसले के लिए उसका फौरन उपाय किया जाता है। जैसे सूरज के लिए गुड़, मंगल के लिए रेवड़ियां, बुध के लिए तांबे का पैसा, राहु के लिए कोयला नदी में प्रवाहित करान फायदेमंद होता है।
4. चौथा उपाय : चौथी किस्म के उपाय में पितृ ऋष और पितृ दोष के उपाय बताए जाते हैं। हालांकि इसकी जरूरत बहुत कम पड़ती है। लाल किताब के अनुसार पितृ ऋण या दोष कई प्रकार का होता है। कुंडली का नौवां घर यह बताता है कि व्यक्ति पिछले जन्म के कौन से पुण्य साथ लेकर आया है। यदि कुंडली के नौवें में राहु, बुध या शुक्र है तो यह कुंडली पितृदोष की मानी जाती है। लाल किताब में कुंडली के दशम और सप्तम भाव में गुरु के होने को शापित माना जाता है। लग्न में राहु है तो सूर्य ग्रहण और पितृदोष, चंद्र के साथ केतु और सूर्य के साथ राहु होने पर भी पितृदोष होता है।
पितृ ऋण से तात्पर्य यह है कि जातक पर अपने पूर्वजों के पाप का असर है। अर्थात गुनाह कोई करे और सजा कोई और भुगते। इसका उपाय खानदान के सभी सदस्य मिलकर ही कर सकते हैं। जैसे मिलकर श्राद्ध करना, मिलकर बराबर रुपये इकट्ठे करके मंदिर में दान देना आदि।
5. पांचवां उपाय : इस उपाय के अंतर्गत शक्की हालत के ग्रह के बुरे असर से बचने के लिए शक्क का फायदा उठाया जा सकता है। अर्थात इसका उपाय है। योग्यता और प्रयास के बावजूद अगर परिणाम आपके पक्ष ना आए तो फिर कुंडली में भाग्य के ग्रहों की तलाश करके ही उसके उपाय कर सकते हैं। मगर पक्की हालत के ग्रह का असर हमेशा के लिए मुकर्रर रहता है और उसके बुरे असर को अच्छे में तबदील करना आदमी की ताकत से बाहर होता है। यहां सिर्फ ऊपरी शक्तियां ही मदद कर सकती हैं। मतलब देवी और देवताओं की भक्ति में ही शक्ति है।