चंद्रमा वृषभ में उच्च, वृश्चिक में नीच का होता है। लाल किताब में चौथे भाव में चंद्रमा बली और दसवें भाव में मंदा होता है। शनि की राशियों में चंद्र बुरा फल देता है। लेकिन यहां सातवें घर में होने या मंदा होने पर क्या सावधानी रखें जानिए।
कैसा होगा जातक : खेत में सिंचाई करने वाली नहर या नदी का पानी। मौत घर में ही होगी। काव्य और ज्योतिष में रुचि लेने वाला। लक्ष्मी का वरदान।
सातवां घर शुक्र और बुध का घर है। शुक्र और बुध मिलकर सूर्य का प्रभाव देते हैं। जब चंद्रमा इस भाव में स्थित होता है तो परिणाम सूर्य, शुक्र, बुध और चंद्रमा से प्रभावित होता है। पहला भाव सातवें को देखता है नतीजन पहले घर से सूर्य की किरणें सातवें भाव में बैठे चंद्रमा को सकारात्म रूप से प्रभावित करती हैं जिसका मतलब है कि चंद्रमा से संबंधित चीजों और रिश्तेदारों से लाभ मिलेगा। उसके पास जमीन जायदाद हो या न हो लेकिन उसके पास नकद निश्चित रूप से हमेशा रहेगा। वह कवि, ज्योतिषी, रहस्यवाद और अध्यात्मवाद में रुचि रखेगा।
चंद्र की सावधानियां :
1. माता की आज्ञा का पालन करें। उसका अपमान न करें।
2. 24 वर्ष की उम्र में विवाह न करें।
3. चरित्र को उत्तम बनाएं रखें।
4. दूध या पानी बेचने का व्यवसाय न करें।
5. शादी की शर्त यह की शिक्षा पूरी हो या पूरी मानकर रोक दी जाए।
क्या करें :
1. एकादशी का व्रत रखें।
2. दुर्गा माता की पूजा आराधना करें।
3. गाय को हरा चारा खिलाएं।
4. शादी में अपनी पत्नी के वजन के बराबर चावल लेना चाहिए।
5. श्मशान भूमि की सीमा के भीतर स्थित नल या कुंए से पानी लाएं और अपने घर के भीतर रखें।