लाल किताब में आपकी कुंडली देखकर भी मकान की स्थिति बताई जा सकती है और कुंडली के अनुसार भी मकान बनाया जा सकता है। लाल किताब के अनुसार प्रत्येक ग्रह का एक घर या मकान होता है जिसकी स्थिति के बारे में बताया गया है। जैसे शनि के मकान के पास कीकर, आम या खजूर के वृक्ष हो सकते हैं। घर में तलघर हो सकता है। पीछे की दीवार कच्ची हो सकती है। यदि वह दीवार गिर जाए तो शनि के खराब होने की निशानी मानी जाती है। इसी तरह सभी ग्रहों के मकान का वर्णन मिलेगा। यहां जानते हैं कि गुरु का मकान कैसा होता है और क्या है इसमें रहने के फायदे।
बृस्पति का मकान : यदि आपका मकान गुरु या कहें कि बृहस्पति का है तो बृहस्पति के मकान में सुहानी हवा के रास्ते होंगे। दरवाजा उत्तर-दक्षिण न होगा। हो सकता है कि पीपल का वृक्ष या कोई धर्मस्थान मकान के आसपास हो। मुख्य द्वार ईशान या उत्तर हो तो ऐसा घर गुरु का घर कहलाएगा।
1. वास्तु के अनुसार उत्तर या ईशान कोण का दरवाजा या मकान हमेशा लाभकारी होता है। इस दिशा में घर के सबसे ज्यादा खिड़की और दरवाजे होना चाहिए। घर की बालकनी भी इसी दिशा में होना चाहिए। इस दिशा में वास्तुदोष होने पर धन की हानि व करियर में बाधाएं आती हैं।
2. उत्तर या ईशन दिशा का द्वार धन और समृद्धि लेकर आता है।
3. इस में मानसिक शांति बनी रहती है और घर के सदस्य हर समय प्रसन्न रहते हैं।
4. उत्तर और ईशान दिशा के मकान में रहने वाले जातक उन्नती करते हैं और प्रसिद्धि पाते हैं।
5. इस तरह के मकान में किसी भी प्रकार की घटना दुर्घटना नहीं होती और यहां के लोग अकाल मौत नहीं मरते हैं।
उत्तर और ईशान के दारवाजों में ध्यान रखने वाली खास बात यह है कि सर्दियों में घर में ठंडक रहती है तो गर्माहट का अच्छे से इंतजाम करें। साथ ही ईशान कोण के दारवाजे के बाहर का वास्तु भी अच्छा होना चाहिए।
अत: सबसे उत्तम गुरु और चंद्र का घर माना जाता है। अर्थात ईशान, उत्तर, वायव्य और पश्चिम दिशा। इस दिशा में यदि मकान है तो उसे गुरु और चंद्र के वृक्ष और पौधों से सुंदर तथा शांतिदायक बना सकते हैं। इस प्रकार के घर में जल और अग्नि के स्थान को अच्छी तरह से नियुक्त किया जाना चाहिए जिससे सुख और समृद्धि बढ़ती जाए।