मकर और कुंभ का स्वामी शनि तुला में उच्च, मेष में नीच का होता है। लाल किताब में आठवें भाव में शनि बली और ग्यारहवां भाव पक्का घर है। सूर्य, चंद्र और मंगल की राशियों में शनि बुरा फल देता है। लेकिन यहां चौथे घर में होने या मंदा होने पर क्या सावधानी रखें जानिए।
कैसा होगा जातक : यहां स्थित शनि को पनियारा सांप कहा गया है। पूर्वजों की सम्पत्ति प्राप्त हो सकती है। जमीन जायदाद और भवन निर्माण के कार्य में लाभ। लेकिन शर्त यह कि चंद्र विपत्ति में नहीं हो। चंद्रमा के इस घर में शनि मिलेजुले परिणाम देता है। जातक अपने माता पिता के प्रति समर्पित और प्रेम प्यार से रहने वाला होगा। जब शनि इस भाव में नीच का हो तो उपाय करना चाहिए। जातक के परिवार से कोई व्यक्ति चिकित्सा विभाग से संबंधित हो सकता है।
5 सावधानियां :
1. पराई स्त्री के चक्कर में न रहें।
2. रात में दूध पीना भी अहितकर है।
3. शराब पीना, सांप मारना और ब्याज का धंधा करना घातक।
4. रात के समय घर की नींव रखना घातक।
5. माता-पिता और खुद की सेवा का ध्यान रखें।
क्या करें :
1. पानी भरे किसी कुएं में दूध डालें।
2. हनुमानजी की उपासना करें।
3. कौवे को प्रतिदिन रोटी खिलावें।
4. लाल किताब के विशेषज्ञ से पूछकर चलते पानी में रम डालें।
5. सांप, गाय व बैल को दूध-चावल पिलाएं खिलाएं।
6. रोग होने पर चंद्रमा की चीजों का दान करें।