मकर और कुंभ का स्वामी शनि तुला में उच्च, मेष में नीच का होता है। लाल किताब में आठवें भाव में शनि बली और ग्यारहवां भाव पक्का घर है। सूर्य, चंद्र और मंगल की राशियों में शनि बुरा फल देता है। लेकिन यहां दूसरे घर में होने या मंदा होने पर क्या सावधानी रखें जानिए।
कैसा होगा जातक : यहां स्थित शनि को गुरु की शरण में कहा गया है। अर्थात गुरु की बुद्धि से चलने वाला। उसे जमीन-जायदाद से लाभ मिल सकता है। धार्मिक प्रवृत्ति, बुद्धिमान, दयालु और न्यायकर्ता होगा। भले ही शनि उच्च का हो या नीच का, यह नतीजा आठवें भाव में बैठे ग्रह पर निर्भर करेगा। जातक की वित्तीय स्थिति सातवें भाव में स्थित ग्रह पर निर्भर करेगी। परिवार में पुरुष सदस्यों की संख्या छठवें भाव और आयु आठवें भाव पर निर्भर करेगी। जब शनि इस भाव में नीच का हो तो शादी के बाद उसके ससुराल वाले परेशान होंगे।
5 सावधानियां :
1. जुआ, सट्टा, लाटरी के चक्कर में न पड़े।
2. वैराग्य भाव न रखें।
3. ब्याज का धंधा न करें।
4. झूठी गवाही देने से बचें।
5. पिता, गुरु और ससुर का अपमान न करें।
क्या करें :
1. 43 दिन नंगे पांव मंदिर जाएं।
2. माथे पर दही या दूध का तिलक लगाएं।
3. सदा प्रसन्नचित्त रहें।
4. भगवान भैरव की उपासना करें।
5. कौवे को प्रतिदिन रोटी खिलावें।