Baisakhi Celebration 2020
सिख धर्म के विशेषज्ञों के अनुसार पंथ के प्रथम गुरु, गुरु नानकदेवजी ने वैशाख माह की आध्यात्मिक साधना की दृष्टि से काफी प्रशंसा की है। पंजाब और हरियाणा सहित कई क्षेत्रों में बैसाखी मनाने के आध्यात्मिक सहित तमाम कारण हैं।
* वैसे तो भारत में महीनों के नाम नक्षत्रों पर रखे गए हैं। बैसाखी के समय आकाश में विशाखा नक्षत्र होता है।
* विशाखा युवा पूर्णिमा में होने के कारण इस माह को 'बैसाखी' कहते हैं।
* इस प्रकार वैशाख मास के प्रथम दिन को 'बैसाखी' कहा गया और पर्व के रूप में स्वीकार किया गया।
* बैसाखी के दिन ही सूर्य मेष राशि में संक्रमण करता है अत: इसे मेष संक्रांति भी कहते हैं। यह पर्व पूरी दुनिया को भारत के करीब लाता है।
* इस दिन सिख गुरुद्वारों में विशेष उत्सव मनाए जाते हैं।
* खेत में खड़ी फसल पर हर्षोल्लास प्रकट किया जाता है।
* दरअसल, इस त्योहार पर फसल पकने के बाद उसके कटने की तैयारी का उल्लास साफतौर पर दिखाई देता है इसीलिए बैसाखी एक लोक त्योहार है।
* बैसाखी पर्व के दिन समस्त उत्तर भारत की पवित्र नदियों में स्नान करने का माहात्म्य माना जाता है अत: इस दिन प्रात:काल नदी में स्नान करना हमारा धर्म है।
बैसाखी के दिन क्या किया जाता है :-
* पूरे देश में श्रद्धालु गुरुद्वारों में अरदास के लिए इकट्ठे होते हैं। मुख्य समारोह आनंदपुर साहिब में होता है, जहां पंथ की नींव रखी गई थी।
* सुबह 4 बजे गुरु ग्रंथ साहिब को समारोहपूर्वक कक्ष से बाहर लाया जाता है।
* दूध और जल से प्रतीकात्मक स्नान करवाने के बाद गुरु ग्रंथ साहिब को तख्त पर बैठाया जाता है। इसके बाद पंच प्यारे 'पंचबानी' गाते हैं।
* दिन में अरदास के बाद गुरु को कड़ा प्रसाद का भोग लगाया जाता है।
* प्रसाद लेने के बाद सब लोग 'गुरु के लंगर' में शामिल होते हैं।
* श्रद्धालु इस दिन कारसेवा करते हैं।
* दिनभर गुरु गोविंदसिंह और पंच प्यारों के सम्मान में शबद् और कीर्तन गाए जाते हैं।
* इस दिन पंजाब का परंपरागत नृत्य भांगड़ा और गिद्दा किया जाता है।
* शाम को आग के आसपास इकट्ठे होकर लोग नई फसल की खुशियां मनाते हैं।