Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(सप्तमी तिथि)
  • तिथि- पौष कृष्ण सप्तमी
  • शुभ समय-9:11 से 12:21, 1:56 से 3:32
  • व्रत/मुहूर्त-श्री रामानुजन ज., राष्ट्रीय गणित दि.
  • राहुकाल- सायं 4:30 से 6:00 बजे तक
webdunia
Advertiesment

Baisakhi Festival : बैसाखी पर्व 13 अप्रैल 2020 को,जानिए महत्व

हमें फॉलो करें Baisakhi Festival : बैसाखी पर्व 13 अप्रैल 2020 को,जानिए महत्व
Baisakhi Celebration 2020
 

* क्यों मनाया जाता है बैसाखी पर्व, जानिए महत्व
 
इस वर्ष बैसाखी का पर्व 13 अप्रैल 2020 को मनाया जा रहा है। बैसाखी नाम वैशाख से बना है। भारत त्योहारों का देश है, यहां कई धर्मों को मानने वाले लोग रहते है और सभी धर्मों के अपने-अपने त्योहार है। बैसाखी पंजाब और आसपास के प्रदेशों का सबसे बड़ा त्योहार है। 
 
बैसाखी पर्व को सिख समुदाय नए साल के रूप में मनाते हैं। बैसाखी मुख्यत: कृषि पर्व है जिसे दूसरे नाम से 'खेती का पर्व' भी कहा जाता है। यह पर्व किसान फसल काटने के बाद नए साल की खुशियां के रूप में मानते हैं। यह पर्व रबी की फसल के पकने की खुशी का प्रतीक है। 
 
भारतभर में बैसाखी का पर्व सभी जगह मनाया जाता है। यह एक राष्ट्रीय त्योहार है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार हर साल 13 अप्रैल को बैसाखी पर्व मनाया जाता है जिसे देश के भिन्न-भिन्न भागों में रहने वाले सभी धर्मपंथ के लोग अलग-अलग तरीके से मनाते हैं। वैसे कभी-कभी 12-13 वर्ष में यह त्योहार 14 तारीख को भी आ जाता है। इस बार बैसाखी का त्योहार 13 अप्रैल, सोमवार को मनाया जाएगा। 
 
उत्तर भारत में विशेषकर पंजाब बैसाखी पर्व को बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाता है। ढोल-नगाड़ों की थाप पर युवक-युवतियां प्रकृति के इस उत्सव का स्वागत करते हुए गीत गाते हैं, एक-दूसरे को बधाइयां देकर अपनी खुशी का इजहार करते हैं और झूम-झूमकर नाच उठते हैं। अत: बैसाखी आकर पंजाब के युवा वर्ग को याद दिलाती है, साथ ही वह याद दिलाती है उस भाईचारे की जहां माता अपने 10 गुरुओं के ऋण को उतारने के लिए अपने पुत्र को गुरु के चरणों में समर्पित करके सिख बनाती थी।
 
वर्ष 1699 में सिखों के 10वें गुरु, गुरु गोविंद सिंह ने बैसाखी के दिन ही आनंदपुर साहिब में खालसा पंथ की नींव रखी थी। इसका 'खालसा' खालिस शब्द से बना है जिसका अर्थ शुद्ध, पावन या पवित्र होता है। खालसा पंथ की स्थापना के पीछे गुरु गोविंद सिंह का मुख्य लक्ष्य लोगों को तत्कालीन मुगल शासकों के अत्याचारों से मुक्त कर उनके धार्मिक, नैतिक और व्यावहारिक जीवन को श्रेष्ठ बनाना था।
 
इस पंथ के द्वारा गुरु गोविंद सिंह ने लोगों को धर्म और जाति के आधार पर भेदभाव छोड़कर इसके स्थान पर मानवीय भावनाओं को आपसी संबंधों में महत्व देने की भी दृष्टि दी। इस कृषि पर्व की आध्यात्मिक पर्व के रूप में भी काफी मान्यता है।
 
उल्लास और उमंग का यह पर्व बैसाखी अप्रैल माह के 13 या 14 तारीख को जब सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है, तब मनाया जाता है। यह केवल पंजाब में ही नहीं, बल्कि उत्तर भारत के अन्य प्रांतों में भी उल्लास के साथ मनाया जाता है। सौर नववर्ष या मेष संक्रांति के कारण पर्वतीय अंचल में इस दिन मेले लगते हैं। लोग श्रद्धापूर्वक देवी की पूजा करते हैं तथा उत्तर-पूर्वी सीमा के असम प्रदेश में भी इस दिन बिहू का पर्व मनाया जाता है। इस दिन दान का बहुत महत्व माना गया है। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Baisakhi 2020 : शौर्य, त्याग और लोक कल्याण का महान पर्व बैसाखी