शनिवार की प्रकृति दारुण है। यह भगवान भैरव और शनि का दिन है। समस्त दुःखों एवं परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए शनिवार के दिन उपवास रखना चाहिए। शनि हमारे जीवन में अच्छे कर्म का पुरस्कार और बुरे कर्म के दंड देने वाले हैं। कहते हैं कि जिसका शनि अच्छा होता है वह राजपद या राजसुख पाता है। तो आओ जानते हैं शनिवार को लाल किताब और ज्योतिष के अनुसार कौन से कार्य करना चाहिए और कौन से नहीं।
ये कार्य करें :
1. विभूति, भस्म या लाल चंदन धारण करें।
2. शनि वार को करें भोजन में तेल का त्याग।
3. गुरुवरु के बाद शनिवार को भी क्षमा मांगने का दिन माना जाता है।
4. नैऋत्य, पश्चिम और दक्षिण दिशा में यात्रा कर सकते हैं।
5. भवन निर्माण प्रारंभ, तकनीकी कार्य, शल्यक्रिया या जांच कार्य के लिए उचित दिन।
6. प्लास्टिक, तेल, पेट्रोल, लकड़ी, सीमेंट आदि क्रय और विक्रय का दिन।
7. शनिवार को पीपल के पेड़ में शाम को जल चढ़ाएं और तिल के तेल का दीपक जलाएं। ऐसा कम से कम 11 शनिवार करें।
8. भैरव महाराज की उपासना करें। किसी भी भैरव मंदिर में शनिवार को शराब चढ़ाएं।
9. कौवे को प्रतिदिन रोटी खिलावें। विशेषकर शनिवार को कौवे को रोटी या वह जो भी खा सके उसे खिलाएं।
10. अंधे, अपंगों, सेवकों और सफाइकर्मियों से अच्छा व्यवहार रखें और उन्हें किसी भी प्रकार का दान दें। हो सके तो जूता दान करें।
11.शनिवार को एक कांसे की कटोरी में सरसों का तेल और सिक्का (रुपया-पैसा) डालकर उसमें अपनी परछाई देखें और तेल मांगने वाले को दे दें या किसी शनि मंदिर में शनिवार के दिन कटोरी सहित तेल रखकर आ जाएं। यह उपाय आप कम से कम पांच शनिवार करेंगे तो आपकी शनि की पीड़ा शांत हो जाएगी और शनिदेव की कृपा शुरू हो जाएगी।
ये कार्य न करें :
1. शनिवार को शराब पीना सबसे घातक माना गया है। इससे आपके अच्छे-भले जीवन में तूफान आ सकता है।
2. पूर्व, उत्तर और ईशान दिशा में यात्रा करना मना है।
3. लड़के को शनिवार के दिन ससुराल नहीं भेजना चाहिए।
4. शनिवार के दिन तेल, लकड़ी, कोयला, नमक, लोहा या लोहे की वस्तु क्रय करके नहीं लानी चाहिए वर्ना बिना बात की बाधा उत्पन्न होगी और अचानक कष्ट झेलना पड़ेगा।