लाल किताब के अनुसार शनि हमारे जीवन में अच्छे कर्म का पुरस्कार और बुरे कर्म के दंड देने वाले हैं। लाल किताब कुंडली में शनि ग्रह अगर पहले, चौथे, सातवें या दसवें भाव में हो तो अशुभ फल देते हैं। शनि को पसंद नहीं है जुआ-सट्टा खेलना, शराब पीना, ब्याजखोरी करना, परस्त्री गमन करना, अप्राकृतिक रूप से संभोग करना, झूठी गवाही देना, निर्दोष लोगों को सताना, किसी के पीठ पीछे उसके खिलाफ कोई कार्य करना, चाचा-चाची, माता-पिता, सेवकों और गुरु का अपमान करना, ईश्वर के खिलाफ होना, दाँतों को गंदा रखना, तहखाने की कैद हवा को मुक्त करना, भैंस या भैसों को मारना, साँप, कुत्ते और कौवों को सताना।
कहते हैं कि जिसका शनि अच्छा होता है वह राजपद या राजसुख पाता है। तो आओ जानते हैं लाल किताब के अनुसार शनिवार को कौन से 3 कार्य करना चाहिए जिससे शनि का शुभ प्रभाव प्रारंभ होने लगे।
1. शनिवार को पीपल के पेड़ में शाम को जल चढ़ाएं और तिल के तेल का दीपक जलाएं। ऐसा कम से कम 11 शनिवार करें।
2. भैरव महाराज की उपासना करें, शनिवार का व्रत रखें और शराब ना पीएं। किसी भी भैरव मंदिर में शनिवार को शराब चढ़ाएं।
3. कौवे को प्रतिदिन रोटी खिलावें। विशेषकर शनिवार को कौवे को रोटी या वह जो भी खा सके उसे खिलाएं।
4. अंधे, अपंगों, सेवकों और सफाइकर्मियों से अच्छा व्यवहार रखें और उन्हें किसी भी प्रकार का दान दें। हो सके तो जूता दान करें।
5. शनिवार को एक कांसे की कटोरी में सरसों का तेल और सिक्का (रुपया-पैसा) डालकर उसमें अपनी परछाई देखें और तेल मांगने वाले को दे दें या किसी शनि मंदिर में शनिवार के दिन कटोरी सहित तेल रखकर आ जाएं। यह उपाय आप कम से कम पांच शनिवार करेंगे तो आपकी शनि की पीड़ा शांत हो जाएगी और शनिदेव की कृपा शुरू हो जाएगी।
नोट : उक्त उपाय किसी लाल किताब के विशेषज्ञ से पूछकर ही करें।