मंत्र या आयत पढ़कर गांठ लगाया हुआ वह धागा जो रोग या प्रेतबाधा दूर करने के लिए गले या हाथ में बांधते हैं उसे गंडा कहते हैं जबकि किसी कागज, ताड़पत्र या भोजपत्र पर मंत्र लिखकर उसे किसी पीतल, लोहे, चांदी या तांबे की आधा इंची पेटी में बंद कर उस पेटी को गले में लटकाने या बाजू में बांधने वाली वस्तु को ताबीज या तावीज़ कहते हैं। अब सवाल यह उठता है कि लाल किताब के अनुसार यह गंडा या ताबीज कितना सही होता है या इसे बांधना चाहिए या नहीं?
गंडे ताबीज का नुकसान : मनमाने तरीके या किसी अपवित्र ओझा, तांत्रिक, फकीर, मौलवी या सड़क किनारे ताबीज बेचने वाले लोगों से प्राप्त गंडा या ताबीज आपको नुकसान भी पहुंचा सकता है। इन गंडे-ताबीजों की पवित्रता का विशेष ध्यान रखना पड़ता है अन्यथा ये आपको नुकसान पहुंचाने वाले सिद्ध होते हैं। जो लोग इन्हें पहनकर शराब आदि का नशा करते हैं या किसी अपवित्र स्थान पर जाते हैं उनका जीवन कष्टमय हो जाता है। मारण, उच्चाटन, वशीकरण, भूत-प्रेत बाधा मुक्ति या धर्मान्तरण आदि के हेतु गंडे या ताबीज का प्रचलन जोरशोर से होता है। अखबारों में लुभावने विज्ञापन या अन्य किसी धर्म प्रचारक की बातें सुनकर सामान्य व्यक्ति उनके जाल में फंस जाता है।
क्या कहती है लाल किताब : लाल किताब ग्रहों की विशेष स्थिति अनुसार जातक को किसी संत या साधु से गंडा ताबीज लेने की मनाही की गई है। बाजू अर्थात कुंडली का पराक्रम भाव होता है यहां आपको कोई वस्तु धारण करना चाहिए या नहीं, किस धातु की वस्तु धारण करना चाहिए या नहीं यह विचार किया जाता है। उसी तरह आपका गला कुंडली का लग्न स्थान होता है। गले में आपको ताबीज या लॉकेट पहना चाहिए या नहीं या विचारणीय विषय है।
गला हमारा लग्न स्थान होता है और ताबीज या लॉकेट पहनने से हमारा हृदय और फेफड़े प्रभावित होते हैं। अत: ताबीज या लॉकेट सोच-समझकर ही पहनें।
लाल किताब के अनुसार यदि आपकी कुंडली में बुध 9वें या 11वें भाव में स्थित है तो किसी भी साधु, संत, फकीर आदि से गंडा या ताबीज नहीं लेना चाहिए अन्यथा जातक परेशानी में पड़ सकता है। इसके अलावा जातक को पन्ना भी धारण नहीं करना चाहिए और हरे रंग का उपयोग नहीं करना चाहिए।