सूर्य मेष में उच्च, तुला में नीच का होता है। लाल किताब के अनुसार उच्च और नीच कुछ अलग तरह से तय होते हैं। लेकिन यहां दूसरे घर में होने या मंदा होने पर क्या सावधानी रखें जानिए।
कैसा होगा जातक : खुद शिकार करके खाने वाला सिंह। इसे बिना किसी सहारे के जलने वाला मंदिर का दीपक भी कहा गया है। आर्थिक हालात सामान्य। धर्म और ससुराल विरोधी हो सकता है।
द्वितीय भाव में सूर्य होने पर व्यक्ति त्यागी, दानी, भाग्यशाली, सच्चरित्र एवं धार्मिक स्वभाव का होगा। वाहन, धन सम्पति, बहुमूल्य आभूषण, अधिकार पूर्ण पद का स्वामी होगा। मधुर भाषी एवं अपने तर्को से सभी को अनुकूल करने की क्षमता रखता है। स्वयं स्वार्थ से रहकर सभी की सहायता करने वाला होता है। ऐसे जातक के जन्म के पश्चात ही माता-पिता का भाग्योदय हुआ होगा। लेकिन मंगल एवं चन्द्र 1 में होने पर दरिद्र, आलसी एवं निर्धन होगा।
पांच सावधानियां
1. चावल, चांदी, हरी वस्तुएं या दूध का दान लेने से बचें।
2. तरक्की और सुख-शांति की शर्त यह है कि भाई की हर वक्त सहायता करें।
3. जहां तक हो सके जमीन संबंधी झगड़ों से भी बचें। स्त्री के कारण संबंधियों से ना झगड़ें।
4. हरी वस्तुएं, चावल तथा अनाज कभी भी उधार पर ना लें।
5. घर की महिलाओं की सेहत का विशेष ध्यान रखें।
ये पांच कार्य करें
1. नारियल, सरसों और बादाम का दान करें।
2. शारीरिक कष्ट होने पर तांबे का एक सिक्का बहते पानी में बहा दें।
3. स्त्री ऋण का उपाय करें।
4. सूर्य को अर्घ्य दें।
5. गुड़ खाकर ही घर से निकलें या रविवार का व्रत करें।