इंदौर। समाज के कमजोर या जरूरत मंद व्यक्तियों को उनकी योग्यता के आधार पर केवल ऋण दे देना ही पर्याप्त नहीं है अपितु ऋण वितरण के उपरांत ऋण राशि का सदुपयोग हो और उससे आजीविका का साधन जुट सकें, इसके लिए भी हम बैंकर को ध्यान रखना चाहिए ताकि ऋण देने का अंतिम उदेश्य पूर्ण हो सके और व्यक्ति विशेष का जीवन स्तर सुधर सकें।
उक्त विचार बैंक ऑफ इंडिया के आंचलिक कार्यालय इंदौर द्वारा आयोजित राजभाषा संगोष्ठी में बैंक के आंचलिक प्रबंधक सुनील कुमार वोहरा ने व्यक्त किए। वे ऋण वितरण ऋण वसूली एवं ग्राहक प्रशिक्षण विषय पर आयोजित संगोष्ठी में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि हमें ऋण वापसी के महत्व से भी आम जन को अवगत करना चाहिए। संगोष्ठी में विशेष अतिथि वक्ता के रूप में हिन्दी साहित्य परिवार के अध्यक्ष एवं वित्त मंत्रालय की हिन्दी सलाहकार समिति के भूतपूर्व सदस्य हरेराम वाजपेयी, बैंक ऑफ इंडिया के भूतपूर्व महाप्रबंधक आरडी यादव, सिडबी के महाप्रबंधक कुलकर्णी नगर राजभाषा के प्रतिनिधि नितिन घुणे, प्रधान कार्यालय से सहायक महाप्रबंधक शैलेश मालवीय, उप आंचलिक प्रबंधक शक्ति कुमार बसा विभिन्न बैंकों से आए कार्यालय प्रमुख एवं राजभाषा अधिकारी उपस्थित थे। कार्यक्रम संचालन एवं आभार प्रदर्शन राजभाषा प्रबंधक सोनिया सावंत के किया।