नई दिल्ली। सरकार ने बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिए एक निश्चित सीमा से अधिक का लेन-देन करने वाले लोगों के मूल पहचान दस्तावेजों का प्रतिलिपियों के साथ मिलान करने को कहा है जिससे कि जाली या धोखाधड़ी कर बनाए गए दस्तावेजों के इस्तेमाल की आशंका को समाप्त किया जा सके।
वित्त मंत्रालय के तहत राजस्व विभाग ने गजट अधिसूचना जारी कर मनीलांड्रिंगरोधक (रिकॉर्ड रखरखाव) नियमों में संशोधन किया है। नए नियमों के तहत रिपोर्ट करने वाली इकाई को ग्राहकों द्वारा दिए गए आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेज का मूल और प्रतिलिपि के साथ मिलान करना होगा।
मनीलांड्रिंगरोधक कानून (पीएमएलए) देश में मनीलांड्रिंग और कालेधन के सृजन पर अंकुश लगाने का प्रमुख कानूनी ढांचा है। पीएमएलए और इसके नियमों के तहत बैंकों, वित्तीय संस्थानों और अन्य बाजार इकाइयों के लिए अपने ग्राहकों की पहचान का सत्यापन करना, रिकॉर्ड रखना तथा भारत की वित्तीय खुफिया इकाई (एफआईयू-आईएनडी) को सूचना देना जरूरी है।
नियम 9 के तहत प्रत्येक रिपोर्टिंग इकाई को किसी के साथ खाता आधारित संबंध शुरू करते समय अपने ग्राहकों और उनकी पहचान का सत्यापन करना और कारोबारी संबंध के उद्देश्य और प्रकृति के बारे में सूचना प्राप्त करना जरूरी है। शेयर ब्रोकर, चिटफंड कंपनियां, सहकारी बैंक, आवास वित्त संस्थान और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को भी रिपोर्टिंग इकाई के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
रिपोर्टिंग इकाइयों को खाता खोलने वाले किसी व्यक्ति या 50,000 रुपए से अधिक का लेन-देन करने वालों से बायोमीट्रिक पहचान नंबर आधार और अन्य आधिकारिक दस्तावेज लेना जरूरी है। इसी तरह की अनिवार्यता 10 लाख रुपए से अधिक के नकद सौदे या उतने ही मूल्य के विदेशी मुद्रा सौदे के लिए भी है।
रिपोर्टिंग नियमों के अनुसार 5 लाख रुपए से अधिक के विदेशी मुद्रा के सीमापार लेन-देन और 50 लाख रुपए या उससे अधिक मूल्य की अचल संपत्ति की खरीद भी इसी श्रेणी में आती है। गजट अधिसूचना में कहा गया है कि यदि आधिकारिक रूप से दिए गए वैध दस्तावेज में नया-पता शामिल नहीं है तो बिजली, टेलीफोन बिल, पोस्टपेड मोबाइल बिल, पाइप गैस का बिल या बिजली का बिल पते के प्रमाण के रूप में दिया जा सकता है। हालांकि ये बिल 2 महीने से अधिक पुराने नहीं होने चाहिए। (भाषा)