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4 सेक्टर्स पर मंदी की मार, 4 सेक्टर कतार में, लाखों नौकरियां खतरे में...

हमें फॉलो करें 4 सेक्टर्स पर मंदी की मार, 4 सेक्टर कतार में, लाखों नौकरियां खतरे में...

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, शुक्रवार, 23 अगस्त 2019 (07:26 IST)
भारत में 4 सेक्टर्स पर आर्थिक मंदी का असर देखा जा रहा है। 4 सेक्टर्स ऐसे भी है जो जल्द ही मंदी की चपेट में आ सकते हैं। इस वजह से लाखों लोगों की नौकरियां खतरे में पड़ गई है।
 
अर्थव्यवस्था में आ रही सुस्ती से बैंक, इंश्योरेंस, ऑटो सहित लॉजिस्टिक और इंफ्रास्टक्चर जैसे सेक्टर में नई नौकरियों के अवसर कम होने लगे हैं। केयर रेटिंग्स लिमिटेड की सालाना रिपोर्ट के अनुसार 2019 में इन सेक्टर्स में नई नौकरियों के अवसर कम हुए हैं। वहीं सभी सेक्टर्स की ग्रोथ पहले के मुकाबले 1.9% कम रही।
 
मंदी की मार से जूझ रहे नॉन बैंकिंग फाइनेंस, वाहन, बिस्किट से लेकर टैक्सटाइल उद्योग में छंटनी का अंदेशा बढ़ता जा रहा है तो वहीं हाल ही में आई एक और चिंताजनक रिपोर्ट से लोगों का दम फूलने लगा है। मंदी की मार अब कई  ऐसे सेक्टर्स पर भी पड़ने वाली है, जो सीधे करोड़ों नौकरियां देने वाले सेक्टर्स माने जाते हैं।
 
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RBI द्वारा हाल ही में जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार उद्योगों को दिए जाने वाले कर्ज में गिरावट हुई है। पेट्रोलियम, खनन, टेक्सटाइल, फर्टिलाइजर व संचार जैसे सेक्टर्स में उद्योगों ने कर्ज लेना कम कर दिया है। इसका सीधा असर बैंकों द्वारा दिए जा रहे लोन पर पड़ने की संभावना है।
 
SBI के चेयरमैन रजनीश कुमार ने भी एक बयान में कहा कि कर्ज की मांग कमजोर बनी हुई है और अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कर्ज की आपूर्ति को लेकर कोई दिक्कत नहीं है क्योंकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पास कर्ज देने को धन पर्याप्त रूप से उपलब्ध है।
 
मारुति सुजुकी, बजाज, टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, यूनाइटेड इंडिया इंशोरेस, नेशनल इंश्योरेंस जैसी दिग्गज कंपनियां मंदी की चपेट में दिखाई दे रही है। अकेले ऑटो सेक्टर में पिछले 4 माह में 3.5 लाख लोग बेरोजगार हो गए और 10 लाख लोगों के नौकरियों पर संकट के बादल दिखाई दे रहे हैं।
 
भले ही मोर्गन स्टेनली जैसी दिग्गज कंपनियां इस बात का दावा कर रही हों कि भारत इस मंदी की चपेट से थोड़ा दूर रहेगा। लेकिन अगले 9 माह भारत समेत पूरी दुनिया के लिए भारी है। भारत को अगर इसके असर को कम करना है तो सरकार को कड़े कदम उठाने होंगे।

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