नई दिल्ली। डील से पीछे हटी Foxconn कंपनी के फैसले से मोदी सरकार के 'मेक इन इंडिया' चिप के सपने को बड़ा झटका लगा है। दरअसल, फॉक्सकॉन ने कहा है कि वह भारत के साथ डील नहीं करेगी। फॉक्सकॉन ने भारत में वेदांता के साथ सेमीकंडक्टर संयुक्त उपक्रम से हटने का फैसला किया है।
होन हाई टेक्नोलॉजी ग्रुप (फॉक्सकॉन) ने कहा कि वह सेमीकंडक्टर उद्यम से फॉक्सकॉन का नाम हटाने का प्रयास कर रही है।
कंपनी ने कहा कि फॉक्सकॉन का इस इकाई के साथ कोई संबंध नहीं है। मूल नाम बनाए रखने से भविष्य के अंशधारकों के लिए असमंसज की स्थिति पैदा होगी।
ठेके पर इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण करने वाली कंपनी फॉक्सकॉन ने पिछले साल वेदांता के साथ मिलकर गुजरात में सेमीकंडक्टर बनाने और डिस्प्ले उत्पादन संयंत्र लगाने का करार किया था। इसमें करीब 1.5 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया जाना था।
फॉक्सकॉन ने बयान में कहा कि परस्पर करार के तहत अधिक विविधता वाले अवसरों की संभावनाएं तलाशने के लिए फॉक्सकॉन ने वेदांता के साथ संयुक्त उद्यम पर आगे नहीं बढ़ने का फैसला किया है।
बयान के मुताबिक होन हाई टेक्नोलॉजी ग्रुप (फॉक्सकॉन) और वेदांता ने पिछले एक साल में सेमीकंडक्टर के विचार को वास्तविकता बनाने के लिए काफी काम किया। कंपनी ने इसे एक अच्छा अनुभव बताते हुए कहा कि आगे चलकर इससे दोनों कंपनियों को मदद मिलेगी।
बयान में कहा गया है कि फॉक्सकॉन भारत के सेमीकंडक्टर विकास की दिशा को लेकर आशान्वित है। हम सरकार की मेक इन इंडिया पहल का मजबूती से समर्थन करते रहेंगे।
क्या बोले अश्विनी वैष्णव : इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोमवार को कहा कि ताइवान की इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण कंपनी फॉक्सकॉन और खनन क्षेत्र की प्रमुख वेदांता देश के सेमीकंडक्टर मिशन और मेक-इन-इंडिया कार्यक्रम के लिए प्रतिबद्ध हैं।
वैष्णव ने फॉक्सकॉन के अपने सेमीकंडक्टर संयुक्त उद्यम वेदांता फॉक्सकॉन सेमीकंडक्टर्स प्राइवेट लिमिटेड से अलग होने की घोषणा के बाद यह बात कही।
मंत्री ने ट्विटर पर कहा कि दोनों कंपनियां फॉक्सकॉन और वेदांता भारत के सेमीकंडक्टर मिशन और 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम के लिए प्रतिबद्ध हैं।
ताइवान की इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी फॉक्सकॉन ने उद्योगपति अनिल अग्रवाल की वेदांता के साथ संयुक्त उद्यम से खुद को अलग करने की घोषणा की है। इस उद्यम को गुजरात में 19.5 अरब डॉलर (लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपये) के निवेश से सेमीकंडक्टर विनिर्माण संयंत्र लगाना था।
मोबाइल फोन से लेकर रेफ्रिजरेटर और कारों तक में इस्तेमाल होने वाले चिप बनाने के लिए प्रौद्योगिकी साझेदार न मिल पाने से इस उद्यम के लिए चुनौतियां बढ़ गई थीं। एजेंसियां