Gold 1 lakh : कमजोर डॉलर, अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध और आर्थिक मंदी की आशंकाओं के चलते वायदा बाजार में मंगलवार को सोना पहली बार 1 लाख रुपए के पार पहुंच गया। इस वर्ष सोने को सबसे सुरक्षित निवेश माना जा रहा है। सोने की कीमत पिछले वर्ष 31 दिसंबर से अब तक लगभग 21 हजार रुपए या 26.41 प्रतिशत प्रति 10 ग्राम बढ़ चुकी हैं।
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर सोने का अगस्त डिलीवरी अनुबंध मध्य सत्र के कारोबार में 2,048 रुपए यानी 2.1 प्रतिशत उछलकर 1,00,000 रुपए प्रति 10 ग्राम के नए शिखर पर पहुंच गया। बाद में, सोना 1,838 रुपए यानी 1.88 प्रतिशत की तेजी के साथ 99,790 रुपए प्रति 10 ग्राम पर कारोबार कर रही था, जिसमें 2,492 लॉट के लिए ओपन इंटरेस्ट था।
इसके अलावा, एमसीएक्स पर अक्टूबर अनुबंध 2,016 रुपए यानी 2.04 प्रतिशत उछलकर 1,00,500 रुपए प्रति 10 ग्राम के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया। इस बीच, सबसे अधिक कारोबार वाला जून अनुबंध 2,079 रुपए यानी 2.14 प्रतिशत बढ़कर 99,358 रुपए प्रति 10 ग्राम के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया।
विश्लेषकों ने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा फेडरल रिजर्व में सुधार की योजना का खुलासा करने के बाद अमेरिकी मौद्रिक नीति को लेकर चिंताओं के कारण सोने में उछाल आया।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ शोध विश्लेषक (जिंस) सौमिल गांधी के मुताबिक, 1990 में सोने की कीमत 3,200 रुपये प्रति 10 ग्राम थी और अगर 2024 के अंत में कीमत देखें तो यह 77,913 रुपये प्रति 10 ग्राम थी। अगर हम पिछले 34 साल की सालाना वृद्धि रिटर्न की गणना करें, तो यह लगभग 9.80 प्रतिशत होता है, और... 2025 की शुरुआत से 21 अप्रैल तक सोने का प्रदर्शन, इसने लगभग 26.20 प्रतिशत रिटर्न दिया है।
अंतरराष्ट्रीय बाजारों में सोना वायदा 83.76 डॉलर प्रति औंस या 2.44 प्रतिशत उछलकर 3,509.06 डॉलर प्रति औंस के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया। बाद में यह रिकॉर्ड स्तर से नीचे आ गया और 65.95 डॉलर या 1.93 प्रतिशत की बढ़त के साथ 3,491.25 डॉलर प्रति औंस पर आ गया।
मेहता इक्विटीज लिमिटेड के जिंस के उपाध्यक्ष राहुल कलंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में सोने की कीमतें पहली बार 3,500 डॉलर प्रति औंस के स्तर को पार कर गईं और घरेलू बाजारों में भी 97,000 के स्तर को पार कर गईं। वैश्विक वित्तीय बाजारों में अनिश्चितता और अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध के बढ़ने से बहुमूल्य धातुओं की कीमतों को समर्थन मिल रहा है।
ट्रंप ने फेडरल रिजर्व से ब्याज दरों में कटौती करने के अपने आह्वान को दोहराते हुए कहा कि अगर फेडरल रिजर्व तुरंत ब्याज दरों में कटौती नहीं करता है तो अमेरिकी अर्थव्यवस्था धीमी हो सकती है। (भाषा)
edited by : Nrapendra Gupta