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देश में 37 प्रतिशत बढ़ी सोने की मांग

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मुंबई , गुरुवार, 3 अगस्त 2017 (15:03 IST)
मुंबई। मौसमी मांग आने, ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों का विश्वास सुधरने तथा जीएसटी लागू किए जाने से पहले अग्रिम खरीदारी से इस साल की दूसरी तिमाही में देश में सोने की मांग 37 फीसदी बढ़कर 167.4 टन पर पहुंच गई। पिछले साल आलोच्य अवधि में यह मांग 122.1 टन पर स्थिर रही थी। विश्व स्वर्ण परिषद (डब्ल्यूजीसी) ने एक रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी है।
 
रिपोर्ट के अनुसार मूल्य के आधार पर भी सोने की मांग तेज हुई है और अप्रैल से जून के दौरान यह मांग 43600 करोड़ रुपए के स्तर पर पहुंच गई। यह पिछले साल इसी अवधि में 33090 करोड़ रुपए की मांग से 32 प्रतिशत अधिक है।
 
डब्ल्यूजीसी के प्रबंध निदेशक (भारत) सोमासुंदरम पीआर ने बताया कि हालांकि, जीएसटी की घबराहट के बीच दूसरी तिमाही की मांग पिछले पांच साल के औसत से कम रही हालांकि तिमाही के आखिरी दौर में लोगों ने जीएसटी से पहले सोने की अग्रिम खरीद बढ़ा रखी थी।
 
उन्होंने बताया कि पिछले साल दूसरी तिमाही में आभूषण निर्माताओं के हड़ताल से सोने का बाजार प्रभावित हुआ था। स्वर्ण आभूषण पर एक प्रतिशत उत्पाद शुल्क लगाए जाने के खिलाफ व्यापारियों ने वह हड़ताल की थी।
 
रिपोर्ट के मुताबिक देश में आलोच्य अवधि के दौरान आभूषणों की मांग पिछले साल के 89.8 टन की तुलना में 41 प्रतिशत बढ़ कर 126.7 टन पर पहुंच गई। मूल्य के संदर्भ में भी मांग इस दौरान 36 प्रतिशत बढ़कर 33 हजार करोड़ रुपए रही। पिछले साल इस दौरान कुल मांग 24350 करोड़ रुपए की रही थी।
 
इसी तरह अप्रैल से जून के दौरान कुल निवेश मांग पिछले साल के 32.3 टन से 26 फीसदी बढ़कर 40.7 टन पर पहुंच गई। मूल्य के आधार पर सोने में निवेश की मांग पिछले साल के 8740 करोड़ रुपए की तुलना में 21 प्रतिशत बढ़कर 10610 करोड़ रुपए पर पहुंच गई।
 
आलोच्य अवधि में देश में सोने को पुर्नचक्रित करने का काम पिछले साल के 23.8 टन से बढ़कर 29.6 टन पर पहुंच गया।
 
सोमासुंदरम ने कहा, 'मौसमी मांग आने तथा ग्रामीण क्षेत्रों में विश्वास बढ़ने से भारत में सालाना आधार पर दूसरी तिमाही में सोने की मांग में बड़ी तेजी दर्ज की गई। आभूषण और निवेश दोनों में भी पिछले साल की सुस्ती के बावजूद अच्छी तेजी देखी गई।'
 
उन्होंने कहा कि जीएसटी समेत पारदर्शिता के अन्य कदमों के बारे में बढ़ती चिंता के बीच नोटबदने काम में प्रगित तथा अच्छे मानसून की संभावना के कारण सकारात्मक धारणा लौटी है। यह अक्षय तृतीया के दौरान बिक्री में भी दिखा तथा इसे इस साल शादी के मुहूर्तों की संख्या अधिक होने से भी समर्थन मिला।
 
साल की दूसरी छमाही के बारे में उन्होंने कहा कि चूंकि उपभोक्ता और कारोबार जगत नयी कर प्रणाली को अपनाने में लगा रहेगा, अच्छे मानसून के बावजूद वृद्धि सीमित रहेगी।
 
उन्होंने कहा कि पूरे साल भर की मांग का पूर्वानुमान 650 से 750 टन के बीच ही रहेगा तथा परिदृश्य में अनिश्चित बनी रहेगी क्योंकि आभूषण निर्माताओं के नकदी में कारोबार करने को तरजीह देने से अवैध कारोबार बढ़ेगा।
 
डब्ल्यूजीसी ने इस रिपोर्ट में बताया कि वैश्विक स्तर पर सोने की मांग इस साल की दूसरी तिमाही के दौरान 10 फीसदी गिरकर 953 टन पर आ गई है। पिछले साल की आलोच्य तिमाही में यह मांग 1055.6 टन थी। इस दौरान केंद्रीय बैंकों की मांग में 20 प्रतिशत की तेजी आई है और यह पिछले साल के 78 टन से बढ़कर 94 टन पर पहुंच गया है।
 
रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक स्तर पर सोने की मांग में गिरावट का मुख्य कारण पिछले साल की पहली छमाही में ईटीएफ प्रवाह के रिकॉर्ड उच्चतम स्तर पर पहुंचने के बाद आयी सुस्ती है। हालांकि इस दौरान आभूषणों की वैश्विक मांग में आठ प्रतिशत की तेजी दर्ज की गयी है और यह पिछले साल के 447 टन से बढ़कर 481 टन पर पहुंच गई। (भाषा) 
 

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