Indias GDP grows 6.1% in Q4 : भारत दुनिया में तीव्र आर्थिक वृद्धि वाला देश बना हुआ है। कृषि, विनिर्माण, खनन और निर्माण क्षेत्रों के बेहतर प्रदर्शन से देश की आर्थिक वृद्धि दर बीते वित्त वर्ष 2022-23 की चौथी तिमाही में 6.1 प्रतिशत रही। इसके साथ, पूरे वित्त वर्ष के दौरान जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो अनुमान से अधिक है। इस वृद्धि के साथ देश की अर्थव्यवस्था 3,300 अरब डॉलर की हो गई है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था ने सारे अनुमानों को पीछे छोड़ते हुए जनवरी-मार्च तिमाही में 6.1 प्रतिशत की दर से वृद्धि की। यह इससे पिछली तिमाही के 4.5 प्रतिशत से अधिक है।
कृषि क्षेत्र में 5.5 प्रतिशत और विनिर्माण क्षेत्र में 4.5 प्रतिशत की वृद्धि के दम में यह आर्थिक वृद्धि हासिल की गयी। इसके अलावा, निर्माण, सेवा और खनन क्षेत्रों का प्रदर्शन भी अच्छा रहा।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 की जनवरी-मार्च तिमाही में वृद्धि दर 6.1 प्रतिशत रही। जबकि इससे पहले, अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में यह 4.5 प्रतिशत और जुलाई-सितंबर तिमाही में 6.2 प्रतिशत थी।
जीडीपी वृद्धि दर 2022-23 की अप्रैल-जून तिमाही में 13.1 प्रतिशत रही थी। वित्त वर्ष 2021-22 की जनवरी-मार्च तिमाही में यह चार प्रतिशत रही थी।
आंकड़ों के अनुसार, पूरे वित्त वर्ष 2022-23 में आर्थिक वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रही। इससे पिछले वित्त वर्ष 2021-22 में यह 9.1 प्रतिशत थी।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने फरवरी में जारी दूसरे अग्रिम अनुमान में देश की वृद्धि दर सात प्रतिशत रहने की संभावना जतायी थी।
इसके साथ भारत तीव्र आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने वाला देश बना हुआ है। चीन में वृद्धि दर इस साल जनवरी-मार्च तिमाही में 4.5 प्रतिशत रही थी।
जीएसटी संग्रह, बिजली खपत, पीएमआई (परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स) जैसे संकेतक अप्रैल में आर्थिक गतिविधियां बने रहने के संकेत दे रहे हैं। हालांकि निर्यात और आयात कम हुआ है। इससे कुछ जोखिम उत्पन्न हुआ है। मानसून और वैश्विक स्तर पर राजनीतिक जोखिम को छोड़कर देश की आर्थिक वृद्धि दर 2023-24 में 6.5 प्रतिशत के अनुमान से ऊपर रह सकती है।
मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने कहा कि हम वृहत आर्थिक, वित्तीय और राजकोषीय स्थिरता के साथ सतत आर्थिक वृद्धि की कहानी पेश करने में सक्षम हैं। इसके साथ एक और साल भारत के ठोस आर्थिक प्रदर्शन को लेकर उत्साहित हैं।”
डेलॉयट इंडिया की अर्थशास्त्री रूमकी मजूमदार ने कहा कि जीडीपी आंकड़े आश्चर्यजनक रूप से सुखद हैं लेकिन पूरी तरह से अप्रत्याशित नहीं है।
उन्होंने कहा कि विनिर्माण क्षेत्र में तेजी स्थिति को और सुखद बना रहा है क्योंकि नीतिनिर्माताओं के लिये क्षेत्र चिंता का विषय बना हुआ था।
मार्च 2023 को समाप्त वित्त वर्ष में सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) वृद्धि सात प्रतिशत रही जो इससे पूर्व वित्त वर्ष में 8.8 प्रतिशत थी।
विनिर्माण क्षेत्र में जीवीए वृद्धि दर मार्च 2023 को समाप्त तिमाही में बढ़कर 4.5 प्रतिशत रही जो एक साल पहले इसी तिमाही में 0.6 प्रतिशत थी।
खनन क्षेत्र में जीवीए वृद्धि दर मार्च 2023 को समाप्त चौथी तिमाही में 4.3 प्रतिशत रही जो एक साल पहले इसी तिमाही में 2.3 प्रतिशत थी। निर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर इस दौरान 10.4 प्रतिशत रही जो एक साल पहले 2021-22 की इसी तिमाही में 4.9 प्रतिशत थी।
कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर इस दौरान 5.5 प्रतिशत रही जो एक साल पहले इसी तिमाही में 4.1 प्रतिशत थी।
हालांकि आठ बुनियादी उद्योगों की वृद्धि की रफ्तार अप्रैल, 2023 में सुस्त पड़कर छह महीने के निचले स्तर 3.5 प्रतिशत रह गई। मुख्य रूप से कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद और बिजली के उत्पादन में कमी से बुनियादी उद्योग की वृद्धि की रफ्तार धीमी हुई है।
वहीं कोयला, उर्वरक और बिजली क्षेत्रों के बेहतर प्रदर्शन से पूरे वित्त वर्ष 2022-23 में बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर में 7.7 प्रतिशत रही।
इस बीच, लेखा महानियंत्रक के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2022-23 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 6.4 प्रतिशत रहा, जो लक्ष्य के अनुरूप है। कर और गैर-कर राजस्व संग्रह बेहतर रहने से राजकोषीय घाटा को थामने में मदद मिली।
कांग्रेस ने साथा निशाना : कांग्रेस ने वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत पर पहुंचने को लेकर बुधवार को कहा कि इन आंकड़ों में वाह-वाह करने लायक कुछ भी नहीं है क्योंकि निवेश एवं उपभोग से संबंधित ढांचागत समस्याएं रहने वाली हैं।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था क्वार्टर से क्वार्टर तक जैसी किसी फिल्म की तरह नहीं है।
जयराम रमेश ने ट्वीट किया, अर्थव्यवस्था क्वार्टर से क्वार्टर तक (तिमाही से तिमाही तक) नाम की किसी फिल्म की तरह नहीं है। आज के जीडीपी आंकड़ों को लेकर कुछ भी वाह-वाह करने के लिए नहीं है। वे इसे अपने अपने हिसाब से पेश करेंगे, लेकिन निवेश और उपभोग से जुड़े डबल इंजन की गहरी ढांचागत समस्याएं रहने वाली हैं।
उन्होंने दावा किया कि जीडीपी वृद्धि दर की सुर्खी का कोई मतलब नहीं है क्योंकि वास्तविक आंकड़े निजी उपभोग और वार्षिक विनिर्माण सकल मूल्य वर्द्धन (जीवीए) वृद्धि से संबंधित हैं जो चिंता में डालने वाले हैं। चौथी तिमाही में निजी उपभोग 2.8 प्रतिशत रहा तथा वार्षिक जीवीए वृद्धि 11.1 प्रतिशत से गिरकर 1.3 प्रतिशत तक पहुंच गई।
रमेश का कहना था कि हम भारत जोड़ो यात्रा से यह कहते आ रहे हैं कि अमीर और गरीब के बीच खाई बढ़ रही है। यह बात आज के आंकड़ों से सही साबित हुई है।
उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार की नीतियों के चलते भारत न तो पर्याप्त उपभोग कर रहा है और न ही उत्पादन कर रहा है। भाषा Edited By : Sudhir Sharma