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क्या वाकई मृत है भारत की अर्थव्यवस्था? बयानबाजी के इतर आंकड़ों से समझिए सच्चाई!

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

नई दिल्ली , शुक्रवार, 1 अगस्त 2025 (14:20 IST)
Indian Economy news in hindi : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था को 'डेड इकोनॉमी' (मृत अर्थव्यवस्था) बताने के बाद से देश में राजनीतिक घमासान तेज हो गया है। जहां एक ओर सरकार इसे निराधार बता रही है, वहीं विपक्ष इसे लेकर सरकार पर हमलावर है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के ताज़ा अनुमान और केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के बयान इस बहस में एक नया आयाम जोड़ते हैं। आइए जानते हैं विभिन्न राजनेताओं और संस्थाओं के बयानों के आलोक में भारत की अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति। ALSO READ: ट्रंप प्रशासन का भारत पर 'बयानों से वार': अमेरिकी वित्त मंत्री बोले- 'भारत ग्लोबल एक्टर नहीं', पाकिस्तान को पुचकारा!
 
IMF का ताजा अनुमान: 'ब्राइट स्पॉट' बना भारत
IMF के विश्लेषण के अनुसार, वैश्विक मंदी के बावजूद भारत अभी भी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने जुलाई 2025 में जारी वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक के अनुसार भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2025 और 2026 दोनों वर्षों के लिए 6.4% रहने का अनुमान लगाया है।
 
IMF के अनुसार, यह वैश्विक मंदी और अमेरिका-चीन जैसे देशों की सुस्त वृद्धि के बावजूद भारत को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था में बनाए हुए है। यह अनुमान मजबूत घरेलू उपभोग, जारी सुधारों और सार्वजनिक निवेश के चलते है। अप्रैल 2025 में IMF का अनुमान 6.2% था, जिसे अब बढ़ाकर 6.4% किया गया है — यानी भारत की इकोनॉमी में अपेक्षाकृत स्थिरता और बेहतर रफ्तार बनी हुई है। IMF का कहना है कि 2027-28 तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है।
 
पीयूष गोयल का पलटवार: भारत जल्द बनेगा तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा और 'डेड इकोनॉमी' वाले तंज का करारा जवाब दिया है। उन्होंने संसद में कहा कि भारत जल्द ही जीडीपी के आकार के हिसाब से दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। गोयल ने इस बात पर जोर दिया कि वर्तमान में भारत विश्व की सबसे तेज़ी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है। उन्होंने यह भी बताया कि भारत कुछ ही वर्षों में 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, जो देश की आर्थिक प्रगति का स्पष्ट प्रमाण है।
 
गोयल ने साफ किया कि भारत किसी भी व्यापार समझौते के दौरान अपने राष्ट्रीय हितों की पूरी तरह से रक्षा करेगा और अपने किसानों, श्रमिकों और छोटे उद्यमियों के हितों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार अमेरिकी टैरिफ की घोषणा के प्रभावों का भी बारीकी से अध्ययन कर रही है। गोयल ने 'इंडिया फर्स्ट' नीति के साथ आगे बढ़ने पर जोर दिया और कहा कि भारत केवल उन्हीं अंतरराष्ट्रीय व्यापार समझौतों में शामिल होगा, जो देश के हित में होंगे। ALSO READ: टैरिफ वार से भारत को $7 अरब का झटका? जानें अर्थव्यवस्था और आपकी जेब पर क्या होगा असर!
 
विपक्ष का आक्रमण: 'डेड इकोनॉमी' से चुनौतियों तक जहां सरकार और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाएं भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत बता रही हैं, वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी और अन्य विपक्षी नेता सरकार पर लगातार हमलावर हैं।
 
राहुल गांधी (कांग्रेस): अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के 'डेड इकोनॉमी' बयान का समर्थन करते हुए लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा, 'केवल प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को छोड़कर सभी जानते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था मृत है।' उन्होंने बेरोजगारी, महंगाई, किसानों की हालत, MSMEs की दुर्दशा, और सामाजिक असमानताओं का हवाला देते हुए सरकार की आर्थिक नीतियों को आड़े हाथों लिया।
 
राजीव शुक्ला (कांग्रेस): राहुल गांधी के बयान के विपरीत, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजीव शुक्ला ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था 'डेड' नहीं है और ट्रंप 'गलतफहमी' में जी रहे हैं।
 
प्रियंका चतुर्वेदी (शिवसेना, उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट): प्रियंका चतुर्वेदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति के बयान को 'अहंकार और अज्ञानता' से भरा बताया। उन्होंने स्वीकार किया कि भारत के सामने आर्थिक चुनौतियां हैं, लेकिन स्पष्ट किया कि आर्थिक चुनौतियां एक मृत अर्थव्यवस्था के समान नहीं हैं।
 
शशि थरूर (कांग्रेस): कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 25% टैरिफ लगाने के फैसले को 'बहुत गंभीर' बताया। उन्होंने कहा कि इससे भारत के अमेरिका के साथ व्यापारिक संबंध बुरी तरह प्रभावित हो सकते हैं। थरूर ने कहा कि 25% टैरिफ, साथ ही रूस से तेल और गैस खरीदने के लिए लगने वाला अस्पष्ट दंड, प्रभावी दर को 35-45% तक ले जा सकता है, और 100% दंड की भी बात चल रही है, जिससे अमेरिका के साथ हमारा व्यापार "पूरी तरह से तबाह" हो सकता है।

हालांकि, थरूर ने यह भी जोर दिया कि भारत को अनुचित अमेरिकी मांगों का विरोध करना चाहिए, क्योंकि भारत निर्यात पर चीन की तरह पूरी तरह से निर्भर नहीं है और हमारे पास एक मजबूत घरेलू बाजार है। उन्होंने कहा कि भारत को अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देनी होगी।
 
आंकड़ों और बयानों में सच्चाई: कहां खड़ी है भारतीय अर्थव्यवस्था?
IMF, वर्ल्ड बैंक जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं भारत की वृद्धि दर 6.4-6.7% के बीच बता रही हैं — जो सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज़ है। IMF ने स्पष्ट किया है कि भारत की स्थिर और तेज़ वृद्धि सार्वजनिक निवेश, घरेलू मांग और सुधारों के कारण संभव हुई है। विपक्ष जिन चुनौतियों का हवाला दे रहा है, उनमें नौकरियां, महंगाई, असमानता, और कृषि क्षेत्र की समस्याएं अहम हैं, जिन पर समग्र सुधार की आवश्यकता है।
 
IMF समेत अधिकतर अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के ताजातरीन अनुमानों के अनुसार, भारत आज भी वैश्विक मंदी के दौर में सबसे तेज़ी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है। सरकार का फोकस संरचनात्मक सुधार और निवेश पर है। वहीं, विपक्ष आर्थिक विकास का लाभ आम जनता तक न पहुँचने तथा असमानता-बेरोजगारी की समस्याओं को उजागर कर रहा है। यह बयानबाजी आगामी चुनावों में एक प्रमुख मुद्दा बन सकती है, जहां आंकड़े और जमीनी हकीकत दोनों पर बहस छिड़ी रहेगी।
edited by : Nrapendra Gupta

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