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Jet airways के लिए सिर्फ Etihad Airways ने लगाई बोली

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, शुक्रवार, 10 मई 2019 (22:52 IST)
मुंबई। वित्तीय संकट के कारण फिलहाल ठप पड़ी निजी विमान सेवा कंपनी जेट एयरवेज की हिस्सेदारी खरीदने के लिए सिर्फ एक खरीददार एतिहाद एयरवेज सामने आया है।
 
बैंकों का ऋण चुकाने में विफल रही एयरलाइन की हिस्सेदारी बेचने के लिए ऋणदाताओं के कंसोर्टियम ने बोली प्रक्रिया शुरू की थी जिसमें बोली लगाने का समय शुक्रवार शाम 6 बजे समाप्त हो गया। बोली प्रक्रिया एसबीआई कैपिटल मार्केट्स लिमिटेड (एसबीआई कैप्स) की देखरेख में पूरी हुई।
 
एसबीआई कैप्स के एक प्रवक्ता ने बताया कि एतिहाद एयरवेज से सीलबंद निविदा प्राप्त हुई है और ऋणदाताओं के समक्ष उसे पेश किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि संयुक्त अरब अमीरात की विमान सेवा कंपनी एतिहाद एयरवेज पहले से जेट एयरवेज में 24 प्रतिशत की हिस्सेदार है।
 
जेट एयरवेज की 75 प्रतिशत तक हिस्सेदारी बेचने के लिए 8 अप्रैल को निविदा आमंत्रित की गई थी। तकनीकी निविदा जमा कराने के लिए 12 अप्रैल शाम 6 बजे तक का समय दिया गया था। 4 संभावित खरीददारों ने तकनीकी निविदा जमा कराई थी। उनसे वित्तीय निविदा आमंत्रित की गई थी जिसे जमा कराने के लिए 10 मई की समयसीमा तय की गई थी।
 
एसबीआई कैप्स के प्रवक्ता ने बताया कि एतिहाद एयरवेज के अलावा कुछ ऐसे खरीददारों से भी प्रस्ताव मिले हैं जिन्होंने तकनीकी बोली प्रक्रिया में हिस्सा नहीं लिया था और इस प्रकार उनके प्रस्ताव बोली प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बन सके, हालांकि ऋणदाताओं का कंसोर्टियम उन पर भी विचार करने के लिए स्वतंत्र है।
 
उल्लेखनीय है कि नकदी की कमी के कारण जेट एयरवेज ने 17 अप्रैल को तत्काल प्रभाव से परिचालन बंद करने की घोषणा कर दी थी। वह विमान का किराया, हवाई अड्डा शुल्क, विमान ईंधन की कीमत और कर्मचारियों के वेतन का भुगतान करने में भी विफल रही है।
 
विमान पट्टे पर देने वाली कंपनियां उसके 50 से ज्यादा विमानों का पंजीकरण रद्द करा चुके हैं और कई अन्य विमान उन्होंने ग्राउंड कर दिए हैं। करीब 6 महीने पहले तक 123 विमानों का परिचालन करने वाली कंपनी के कर्मचारी बड़ी संख्या में नौकरी छोड़ चुके हैं। उसके 1,500 पायलटों में से 500 दूसरी कंपनियों में जा चुके हैं।
 
एसबीआई के नेतृत्व वाले बैंकों के कंसोर्टियम ने कंपनी को परिचालन जारी रखने के लिए 1,500 करोड़ रुपए की फौरी राहत राशि देने का वादा किया था, लेकिन यह राशि नहीं देने के बाद कंपनी को परिचालन पूरी तरह बंद करने पर विवश होना पड़ा। (वार्ता)

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