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Share bazaar: विदेशी कोष की निकासी के कारण शेयर बाजार में शुरुआती कारोबार में गिरावट, रुपया भी 9 पैसे गिरा

प्रमुख कंपनियों के शेयरों में रहा उतार-चढ़ाव

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

मुंबई , बुधवार, 8 जनवरी 2025 (11:04 IST)
Share bazaar News: विदेशी पूंजी की निरंतर निकासी और कमजोर वैश्विक बाजार रुझानों के बीच बुधवार को शुरुआती कारोबार में शेयर बाजार के प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स (Sensex) और निफ्टी (Nifty) में गिरावट दर्ज की गई। इसके अलावा प्रौद्योगिकी कंपनी टीसीएस गुरुवार को अपने तिमाही नतीजों की घोषणा भी करेगी, जिससे पहले निवेशक सतर्क हो गए हैं। दूसरी ओर  अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया बुधवार को 9  पैसे गिर गया है।
 
इन प्रमुख कंपनियों के शेयरों में रहा उतार-चढ़ाव : बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स शुरुआती कारोबार 236.42 अंक गिरकर 77,962.69 अंक पर आ गया। एनएसई निफ्टी 62.45 अंक की गिरावट के साथ 23,645.45 अंक पर आ गया। सेंसेक्स में सूचीबद्ध 30 कंपनियों में से जोमैटो, अदाणी पोर्ट्स, टाइटन, टाटा मोटर्स, टेक महिंद्रा, एचडीएफसी बैंक, इंडसइंड बैंक और हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड के शेयर सबसे अधिक नुकसान में रहे, वहीं रिलायंस इंडस्ट्रीज, ऐक्सिस बैंक, मारुति और आईसीआईसीआई बैंक के शेयर बढ़त में रहे। आंकड़ों के अनुसार विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने मंगलवार को 1,491.46 करोड़ रुपए मूल्य के शेयर बेचे।ALSO READ: शेयर बाजार में भारी गिरावट से निवेशकों के 10.98 लाख करोड़ डूबे
 
एशियाई और अमेरिकी बाजारों में : एशियाई बाजारों में दक्षिण कोरिया का कॉस्पी फायदे में रहा जबकि जापान का निक्की, चीन का शंघाई कम्पोजिट और हांगकांग का हैंगसेंग नुकसान में रहे। अमेरिकी बाजार सोमवार को नकारात्मक रुख के साथ बंद हुए थे। अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड 0.38 प्रतिशत की बढ़त के साथ 77.34 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर रहा।
 
रुपया 9  पैसे की गिरा, 85.83 प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर पर : अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया बुधवार को शुरुआती कारोबार में 9  पैसे की गिरावट के साथ 85.83 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया। सरकार द्वारा देश की आर्थिक वृद्धि के अनुमान को कम करने के बावजूद अमेरिकी मुद्रा के मजबूत होने और कच्चे तेल की ऊंची कीमतों के कारण रुपया में गिरावट जारी रही।ALSO READ: शेयर मार्केट पर कैसा रहेगा वक्री गुरु का प्रभाव?
 
विश्लेषकों के अनुसार घरेलू शेयर बाजारों में सुस्ती के कारण भी भारतीय मुद्रा पर दबाव पड़ा जबकि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में वृद्धि की बेहतर संभावना ने फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती में देरी की उम्मीदों को बढ़ावा दिया जिससे अमेरिकी 'ट्रेजरी ईल्ड' के साथ-साथ डॉलर की मांग में रिकॉर्ड वृद्धि हुई।
 
सरकार द्वारा मंगलवार को जारी नवीनतम आंकड़ों से पता चला है कि विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों के खराब प्रदर्शन के कारण भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2024-25 में 4 साल के निचले स्तर 6.4 प्रतिशत पर आ जाने का अनुमान है। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की 6.4 प्रतिशत की वृद्धि दर कोविड-महामारी के वर्ष (2020-21) के बाद सबसे कम होगी, जब देश में 5.8 प्रतिशत की गिरावट देखी गई थी। मार्च, 2024 को समाप्त पिछले वित्त वर्ष में यह 8.2 प्रतिशत थी।ALSO READ: शेयर बाजार में महिला निवेशकों की बढ़ रही संख्या, हर 4 नए निवेशकों में 1 महिला
 
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 85.82 प्रति डॉलर पर खुला। बाद में 85.83 प्रति डॉलर पर फिसल गया,  जो पिछले बंद भाव के मुकाबले 9 पैसे की गिरावट है। रुपया मंगलवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 85.74 पर बंद हुआ था। इस बीच 6 प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.09 प्रतिशत की गिरावट के साथ 108.09 पर रहा।
 
ब्रेंट क्रूड वायदा 77.33 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल पर : अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड 0.09 प्रतिशत की बढ़त के साथ 77.33 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर रहा। शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) मंगलवार को बिकवाल रहे थे और उन्होंने शुद्ध रूप से 1,491.46 करोड़ रुपए के शेयर बेचे।(भाषा)

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